सोमवार, 6 अक्टूबर 2014

jingi

जिनगी सवँरी गेल हमर
जखन एलहुँ आहाँ जिनगी मे  हमर ।
मुर्झाएल फूल जेना छलहुँ हम
आबि आहाँ जीया देलहुँ हमरा ।
 संग आहाँ दैत गेलहुँ
डेग हम बढ़बैत गेलहुँ
भेंट गेल मंजिल हमर
गमइक गेल जिनगी हमर ।


रविवार, 5 अक्टूबर 2014

"अभागल जनता "

"अभागल जनता "
कोनो मोल नहि सधारण मनुषक जिनगीक
कीड़ा मकोड़ा जेना समा जाइत अछि
अकाल काल के गाल मे
बड़का बड़का कहाबे वाला जनसेवक
जनता के बुझैत अछि भेड़ बकड़ी
कटवा दैत अछि अपन कुर्सी खातिर
मृत्यु परल लाश पर सेहो होइत अछि राजनिती
खूब घोषणा होइत अछि क्षतिपूर्तिक हेतु
हर बेर बनैत अछि जाँच आयोग
मुदा परीणाम घास के तीन पात
लाशक मुआवजा मे सेहो घूसखोरी
ताहु पर साहबक सिनाजोड़ी
के किछु कहतै ओकरा
ओकरे शाशन ओकरे प्रशाशन
जनसाधारण बहाएत नोर
मुदा "अभागल जनताक" नोरक नहि कोनो मोल !!!!!!!!!!!
               
        :गणेश कुमार झा "बावरा "
          गुवाहाटी