गुरुवार, 22 मार्च 2012

Kavita--Maithili

भोरूकवा मे सुति उठल छलौं


तखने छोटकुन बाजि उठल--

'आब मैथिली रानी समर्थ भेली

पाबि संविधान मे स्थान

मैथिली रानी धन्य भेली |
'

कोयलीक सन मधुर बोली

दुष्ट कागक दृढ़ताक कारण

कंठक नीचा दबल छली |


मैथिली रानी बजहि छली

दबल कंठे गबहि छली

अपन अधिकार खातीर

नित्य करुण स्वर सँ

मिथिलावाशी के उद्धबोधित करै छली |


आब मैथिली रानी महारानी भेली

जन-जन मैथिल के वाणी भेली

घरे मे नै बाहरों मे

लोकक राजदुलारी भेली |


मुदा इ ताज ता' धरि चमकत

जा' धरि मिथिलावाशी समर्पित रहत ........

:गणेश कुमार झा "बावरा"

गुवाहाटी

(इ रचना ओहि समय के अछि जखन मैथिली के अष्ठम सूची मे स्थान भेटल छल )