- "दीपक "
लोग पूछ्ते है "दीपक " से
दीपक ! तुम क्यों जलते हो ?
दीपक , अपनी कहानी
कुछ इस तरह ब्याँ करता है ----
मेरा 'कर्म ' है जलना
इसलिए, मैं जलता हूँ !
मेरा 'धर्म ' है औरो को प्रकाश देना
इसलिए, मैं जलता हूँ !
आनन्द मिलता है मुझे
...
जब मैं जलता हूँ ,
क्योंकि मेरे जलने से
औरों को जीवन मिलता है
इसलिए, मैं जलता हूँ !
ये तो ध्रुव सत्य है -
जो करना है औरों का हीत
तो करना होगा स्वयं का अहीत
इसलिए , मैं जलता हूँ !
परोपकारी प्रतिफल का कभी
चाह नहीं रखता हैं ,
अविरत , नि:स्वार्थ भाव से
औरों की सेवा करता है
इसलिए , मैं जलता हूँ !
स्वयं का जीवन सब जीता है
पर, स्वयं जल औरों को जीयाए
वही सच्चा संत कहलाता हैं
इसलिए, मैं जलता हूँ !
मेरा जलना सच्चे स्नेह
और सेवा भाव का प्रतिक है ,
त्याग , बलिदान , परोपकार
सेवा, कर्तव्यनिष्ठा आदि
मेरे जीवन के अनमोल रत्न है
इसलिए , मैं सदेव जलता हूँ !!!!!!!!!
:गणेश कुमार झा "बावरा "
गुवाहाटी
गुरुवार, 6 दिसंबर 2012
Hindi kavita "DIPAK"
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