"दीपक "
लोग पूछ्ते है "दीपक " से
दीपक ! तुम क्यों जलते
हो ?
दीपक , अपनी कहानी
कुछ इस तरह ब्याँ करता है ----
मेरा 'कर्म ' है
जलना
इसलिए, मैं जलता हूँ !
मेरा 'धर्म ' है औरो को प्रकाश देना
इसलिए,
मैं जलता हूँ !
आनन्द मिलता है मुझे
...
जब मैं जलता हूँ ,
क्योंकि मेरे जलने से
औरों
को जीवन मिलता है
इसलिए, मैं जलता हूँ !
ये तो ध्रुव सत्य है -
जो करना
है औरों का हीत
तो करना होगा स्वयं का अहीत
इसलिए , मैं जलता हूँ
!
परोपकारी प्रतिफल का कभी
चाह नहीं रखता हैं ,
अविरत , नि:स्वार्थ भाव
से
औरों की सेवा करता है
इसलिए , मैं जलता हूँ !
स्वयं का जीवन सब जीता
है
पर, स्वयं जल औरों को जीयाए
वही सच्चा संत कहलाता हैं
इसलिए, मैं
जलता हूँ !
मेरा जलना सच्चे स्नेह
और सेवा भाव का प्रतिक है ,
त्याग ,
बलिदान , परोपकार
सेवा, कर्तव्यनिष्ठा आदि
मेरे जीवन के अनमोल रत्न है
इसलिए , मैं सदेव जलता हूँ !!!!!!!!!
:गणेश कुमार झा "बावरा
"
गुवाहाटी