गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

Hindi kavita "DIPAK"


  1. "दीपक "
    लोग पूछ्ते है "दीपक " से
    दीपक ! तुम क्यों जलते हो ?
    दीपक , अपनी कहानी
    कुछ इस तरह ब्याँ करता है ----
    मेरा 'कर्म ' है जलना
    इसलिए, मैं जलता हूँ !
    मेरा 'धर्म ' है औरो को प्रकाश देना
    इसलिए, मैं जलता हूँ !
    आनन्द मिलता है मुझे
    ...

    जब मैं जलता हूँ ,
    क्योंकि मेरे जलने से
    औरों को जीवन मिलता है
    इसलिए, मैं जलता हूँ !
    ये तो ध्रुव सत्य है -
    जो करना है औरों का हीत
    तो करना होगा स्वयं का अहीत
    इसलिए , मैं जलता हूँ !
    परोपकारी प्रतिफल का कभी
    चाह नहीं रखता हैं ,
    अविरत , नि:स्वार्थ भाव से
    औरों की सेवा करता है
    इसलिए , मैं जलता हूँ !
    स्वयं का जीवन सब जीता है
    पर, स्वयं जल औरों को जीयाए
    वही सच्चा संत कहलाता हैं
    इसलिए, मैं जलता हूँ !
    मेरा जलना सच्चे स्नेह
    और सेवा भाव का प्रतिक है ,
    त्याग , बलिदान , परोपकार
    सेवा, कर्तव्यनिष्ठा आदि
    मेरे जीवन के अनमोल रत्न है
    इसलिए , मैं सदेव जलता हूँ !!!!!!!!!
    :गणेश कुमार झा "बावरा "
    गुवाहाटी