बुधवार, 23 अक्टूबर 2013

prarthna

प्रार्थना 
(कविकर  यात्री जी  द्वारा  रचित)
 
भगवान ! हमर  ई मिथिला 
सुख  शान्ति केर घर हो । 
आदर्श भए सभक ई 
इतिहाश में अमर हो ॥ 
 
जाहि  ठाम जाइ हम सभ 
सिंहे  तहाँ  कहाबी । 
दुर्दान्त होइ सबठान 
केवल अहाँक  डर हो ॥ 
 
जग भरि सुनी नचारी 
तिरहुति महेश्वानी । 
सभ केर कंठ पथमे 
मृदु मैथिलिक स्वर हो ॥ 
 
अत्यन्त शक्तिशाली 
जे द्वीप अछि तहु पर 
एहि देश केर भाषा 
ओ भेषहुक असर हो ॥ 
पसरए एतए यथोचित 
अभिनव कला कुषलता
प्रतियोगिताक रणमे
ई प्रान्त अग्रसर हो ॥ 
 
अंतिम विनय दयालु 
बस आब एकटा  जे 
ई पाग विश्वभरमे 
सबकेर माथ पर हो ॥