प्रार्थना
(कविकर यात्री जी द्वारा रचित)
भगवान ! हमर ई मिथिला
सुख शान्ति केर घर हो ।
आदर्श भए सभक ई
इतिहाश में अमर हो ॥
जाहि ठाम जाइ हम सभ
सिंहे तहाँ कहाबी ।
दुर्दान्त होइ सबठान
केवल अहाँक डर हो ॥
जग भरि सुनी नचारी
तिरहुति महेश्वानी ।
सभ केर कंठ पथमे
मृदु मैथिलिक स्वर हो ॥
अत्यन्त शक्तिशाली
जे द्वीप अछि तहु पर
एहि देश केर भाषा
ओ भेषहुक असर हो ॥
पसरए एतए यथोचित
अभिनव कला कुषलता
प्रतियोगिताक रणमे
ई प्रान्त अग्रसर हो ॥
अंतिम विनय दयालु
बस आब एकटा जे
ई पाग विश्वभरमे
सबकेर माथ पर हो ॥