छोड़ि अपन देश मैथिल धेने छथि भदेश,
गाम घर सभ सुन्न पड़ल छै,
खेत खरिहान सभ बाट जोहैत छै,
कहिया औता मैथिल ललना,
कियाक अतेक निष्ठुर बनल छथि,
सभ किछु बिलाएल जा रहल अछि,
पहिने बिलाएल भेष फेर भाषा,
आबो आउ अपन देश,
सम्हारु जे बचल अछि अवशेष..जय मिथिला
गाम घर सभ सुन्न पड़ल छै,
खेत खरिहान सभ बाट जोहैत छै,
कहिया औता मैथिल ललना,
कियाक अतेक निष्ठुर बनल छथि,
सभ किछु बिलाएल जा रहल अछि,
पहिने बिलाएल भेष फेर भाषा,
आबो आउ अपन देश,
सम्हारु जे बचल अछि अवशेष..जय मिथिला