दोसरक देखाउंस "
दोसरक जँका बने चललौं
भंगइठ (बिगैर ) गेल जिनगीक सुर-ताल,
निके छलौं अपने जँका
सुखमय छल संसार।
चाल अपन जँ छोड़ब
जँ पकड़ब दोसरक राह ,
मंजील त नहिये भेटत
भ जाएत जिनगी तबाह।
प्रकृति मौलिक थिक
प्रकृतिक सभ वस्तुक मौलिकता ,
तहिना मन्नुखक जिनगी सेहो
सभके अपन विशिष्ठ्ता।
:गणेश कुमार झा "बावरा "
गुवाहाटी
दोसरक जँका बने चललौं
भंगइठ (बिगैर ) गेल जिनगीक सुर-ताल,
निके छलौं अपने जँका
सुखमय छल संसार।
चाल अपन जँ छोड़ब
जँ पकड़ब दोसरक राह ,
मंजील त नहिये भेटत
भ जाएत जिनगी तबाह।
प्रकृति मौलिक थिक
प्रकृतिक सभ वस्तुक मौलिकता ,
तहिना मन्नुखक जिनगी सेहो
सभके अपन विशिष्ठ्ता।
:गणेश कुमार झा "बावरा "
गुवाहाटी