मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

कविता..भदेश

जहिया सँ धीया धेला भदेश
छुटि गेलैन अपन भाषा अपन भेष
छुटि गेलैन माटि-पानि
छुटि गेलैन घर आँगन
छुटि गेलैन माएक आँचर
जहिया सँ धीया धेला भदेश !!
छुटि गेलैन मीत-हित
छुटि गेलैन रीत-विध
छुटि गेलैन खेत-खरीहान
छुटि गेलैन बाबाक दलान
जहिया सँ धीया धेला भदेश !!
छुटि गेलैन नेन्नाक नेनपन
छुटि गेलैन बाबाक कन्हा
छुटि गेलैन कका-काकीक दुलार
छुटि गेलैन नानी-दादीक खीस्सा-पिहानी
जहिया सँ धीया धेला भदेश !!
घुरि आबू हे धीया
बाट जोहैत अछि गामक बटीया !!!!!
:गणेश मैथिल
गुवाहाटी