नाटक:"जागु"
दृश्य: छठा
समय: संध्याकाल
स्थान: स्कूलक प्रांगन
(विष्णुदेव आ अकबर आपस में गप करैत , बिल्टू के प्रवेश )
बिल्टू : (हाथ जोइड़) प्रणाम भैया ! प्रणाम भैया !! (दुनु गोटे के बेरा-बेरी प्रणाम i )
विष्णुदेव: 'आयुष्यमान भव:', 'यसस्वी भव:'! निकें छी ने ?
अकबर: अहाँ जे 'सिविल सर्विस' के परीक्षा देने छलहूँ ---की परिणाम भेल ?
बिल्टू: एखन परिणाम प्रकाशित नै भेलाए, आशा लगौने छी !
विष्णुदेव: आशा, विश्वास आ भरोसे पर त' ई जग टीकल अछि ! जाहि दिन ई तिनु शब्द उठि जाएत ,जग विलुप्त भ' जाएत ।
अकबर: अहाँ अवश्ये सफल होएब , ई हमर पूर्ण विश्वास अछि ।
बिल्टू: भैया ! सुनि रहल छी-- काहिल नेताजी आबए वाला छथि ?
अकबर : हाँ यौ भाई ! हमरो नेताक पछ्लगुआ सब कहि रहल छल ।
विष्णुदेव: हाँ , आबए वाला हेताअ ! चुनाव जे आबि गेल ! चुनवे कें समय त' हुनका सभ कें जनताक ध्यान परैत छन्हि ! अपन वोट बैंक कें चारा देबअ लेल अबैत हेताअ ! दाना डालता तहने ने चिड़ियाँ जाल में फँसतइन !!
बिल्टू: हद भ' गेल ! लगैया , एहि देश में चुनावक आलावा आओर दोसर काज होइते नै अछि ! सब दिन चुनावे-चुनाव ! आइ एम.पी. चुनाव , काहिल एम.एल.ए. चुनाव ,त' परसों मुखिया चुनाव ! एतअ कें राजनीती चुनावक नितियें बनाबअ में समाप्त भ' जाइत अछि, क्रियान्वयन कें त' प्रश्ने नै उठैत अछि !!
अकबर:..ठीके कहै छी बिल्टू आहाँ, कोना दूर होएत गरीबी , बेरोजगारी, अशिक्षा ?? जँ एक सरकार योजना बनाबैया त विपक्ष ओकर टाँग खिंच लेल पहिने सँ तैयार..
विष्णुदेव: ...ई दुर्भाग्य अछि अपन देशके ! जे विपक्ष सरकारक सब योजनाके विरोध करत
बिल्टु:...मुदा जखन नेता सभक वेतन आ भत्ता बढेबाक बिल अबैत अछि त केकरो कानो कान भनक नहि लगैया आ सुट द बिल पास भ जाइत अछि
अकबर: ..ओह!! नहि पूछु एहि नेता सभक चाइल...हद त तखन भ जाइत अछि जखन एक दोसरके गरीयाबे वाला नेता एक दोसरक हितैसी बनि जनताके बुड़िबक बनाबे लेल चुनाव मैदानमे उतरैत अछि
विष्णुदेव:..मुदा जनता जनार्दनके बेसी दिन केयो नहि ठकि सकैत अछि...जे जनता ताज पहिराबैत अछि उहाए जनता आक्रोशित भेला पर गद्दी सँ उतारि फेंकैत अछि
बिल्टु:...ठीके कहलौं भैया...
अकबर:..त एहिबेर सोचि बिचारि क मिथिला लेल विकाश करे वाला नेताके वोट देबाक छै
विष्णुदेब: हाँ...चलू लोकके जगाबल जा जे वोट जाति पातिके नाम पर नहि बल्कि मिथिलाक विकाशके नाम पर देबाक छै।।।
(तीनू गोटेके प्रस्थान)
छठम दृश्यक समाप्ती
दृश्य: छठा
समय: संध्याकाल
स्थान: स्कूलक प्रांगन
(विष्णुदेव आ अकबर आपस में गप करैत , बिल्टू के प्रवेश )
बिल्टू : (हाथ जोइड़) प्रणाम भैया ! प्रणाम भैया !! (दुनु गोटे के बेरा-बेरी प्रणाम i )
विष्णुदेव: 'आयुष्यमान भव:', 'यसस्वी भव:'! निकें छी ने ?
अकबर: अहाँ जे 'सिविल सर्विस' के परीक्षा देने छलहूँ ---की परिणाम भेल ?
बिल्टू: एखन परिणाम प्रकाशित नै भेलाए, आशा लगौने छी !
विष्णुदेव: आशा, विश्वास आ भरोसे पर त' ई जग टीकल अछि ! जाहि दिन ई तिनु शब्द उठि जाएत ,जग विलुप्त भ' जाएत ।
अकबर: अहाँ अवश्ये सफल होएब , ई हमर पूर्ण विश्वास अछि ।
बिल्टू: भैया ! सुनि रहल छी-- काहिल नेताजी आबए वाला छथि ?
अकबर : हाँ यौ भाई ! हमरो नेताक पछ्लगुआ सब कहि रहल छल ।
विष्णुदेव: हाँ , आबए वाला हेताअ ! चुनाव जे आबि गेल ! चुनवे कें समय त' हुनका सभ कें जनताक ध्यान परैत छन्हि ! अपन वोट बैंक कें चारा देबअ लेल अबैत हेताअ ! दाना डालता तहने ने चिड़ियाँ जाल में फँसतइन !!
बिल्टू: हद भ' गेल ! लगैया , एहि देश में चुनावक आलावा आओर दोसर काज होइते नै अछि ! सब दिन चुनावे-चुनाव ! आइ एम.पी. चुनाव , काहिल एम.एल.ए. चुनाव ,त' परसों मुखिया चुनाव ! एतअ कें राजनीती चुनावक नितियें बनाबअ में समाप्त भ' जाइत अछि, क्रियान्वयन कें त' प्रश्ने नै उठैत अछि !!
अकबर:..ठीके कहै छी बिल्टू आहाँ, कोना दूर होएत गरीबी , बेरोजगारी, अशिक्षा ?? जँ एक सरकार योजना बनाबैया त विपक्ष ओकर टाँग खिंच लेल पहिने सँ तैयार..
विष्णुदेव: ...ई दुर्भाग्य अछि अपन देशके ! जे विपक्ष सरकारक सब योजनाके विरोध करत
बिल्टु:...मुदा जखन नेता सभक वेतन आ भत्ता बढेबाक बिल अबैत अछि त केकरो कानो कान भनक नहि लगैया आ सुट द बिल पास भ जाइत अछि
अकबर: ..ओह!! नहि पूछु एहि नेता सभक चाइल...हद त तखन भ जाइत अछि जखन एक दोसरके गरीयाबे वाला नेता एक दोसरक हितैसी बनि जनताके बुड़िबक बनाबे लेल चुनाव मैदानमे उतरैत अछि
विष्णुदेव:..मुदा जनता जनार्दनके बेसी दिन केयो नहि ठकि सकैत अछि...जे जनता ताज पहिराबैत अछि उहाए जनता आक्रोशित भेला पर गद्दी सँ उतारि फेंकैत अछि
बिल्टु:...ठीके कहलौं भैया...
अकबर:..त एहिबेर सोचि बिचारि क मिथिला लेल विकाश करे वाला नेताके वोट देबाक छै
विष्णुदेब: हाँ...चलू लोकके जगाबल जा जे वोट जाति पातिके नाम पर नहि बल्कि मिथिलाक विकाशके नाम पर देबाक छै।।।
(तीनू गोटेके प्रस्थान)
छठम दृश्यक समाप्ती