"जीवन "
जीवन ! जीवन !! जीवन !!!
चलैत रहत एहिना हरदम |
नेक -अनेक रंग में रंगल
जीवन के हर एक क्षण |
कखनो हर्ष कखनो विषाद
जीवन के दुई मधुर फल |
हम यात्री छी जीवन के
यात्रा क' रहल छी |
सत्य -मिथ्या मिठगर -करुगर
चित्र -विचित्र जीवनक दृश्य सँ
साक्षात साक्षात्कार क' रहल छी |
:ganesh kumar jha "bawra"
गुरुवार, 28 मार्च 2013
judai
तुम्हारी इस बेरुखी से अच्छा,
तो तुम्हारी जुदाई के गम थे,
जो कम से कम धड़कन बन,
सिने मे धड़कते तो थे।
थोरी देर के लिए ही सही,
लेकिन याद कर तुम्हेँ,
यादोँ की गहरी सागर मेँ,
यादोँ के सहारे--
तुम्हारे दिदार तो किया करते थे।
जब से आयी हो तुम,
न जाने क्यूं- -
नजरेँ मिलाने के वजाए,
नजरेँ चुराने लगी हो तुम?
कोई मिल गया है और,
या मुझे समझने लगी हो गैर?
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