गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

Swabhiman

आब जीबे क की करब,
जखन स्वाभिमाने नै रहल!
अपन पहिचान रहितो,
दोसरक पहिचान ल जीबे छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभूमि सँ दूर भेलौ!
अपन खेत पथार रहितो,
दोसरक खेत पटबै छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभाषा बिसरलौँ!
अपन समृद्द भाषा रहितो,
दोसरक बोली बजै छी!!
   :गणेश कुमार झा "बावरा"