मंगलवार, 17 मार्च 2015

हमर दुर्दशा सँ निक आहाँक दशा
आहाँ भैर मुन बहा लैत छी नोर
मुदा हमर आँखि बनल अछि थार ।

आहिस्ता चल जिंदगी

सभार अभय तिवारी जी:
आहिस्ता चल जिंदगी,अभी 
कई कर्ज चुकाना बाकी है 
कुछ दर्द मिटाना बाकी है 
कुछ फर्ज निभाना बाकी है 
रफ़्तार में तेरे चलने से
कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
रूठों को मनाना बाकी है
रोतों को हँसाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर ,टूट गए
कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए
उन टूटे -छूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं
कुछ काम भी और जरूरी हैं
जीवन की उलझ पहेली को
पूरा सुलझाना बाकी है
जब साँसों को थम जाना है
फिर क्या खोना ,क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
यह बात बताना बाकी है
आहिस्ता चल जिंदगी ,अभी
कई कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फर्ज निभाना बाकी है ! अभय
आजुक दिन बड्ड शुभ है
मोर घर बेटी पधारो
बेटी पधारो खुशींयाँ है लायो
आँगन बिच नाचत मोर है
मोर घर बेटी पधारो.......
मन रखबै सजनी हमर प्रित
चाहे कतबो भ जाइथ आहाँक मित ।
नहि छुटत कखनो हमर नेह
चाहे कतबो बदलैथ ह्रदय देह ।

बुधवार, 4 मार्च 2015

Rahul ki Vyatha

"राहूल  की व्यथा "
 थक चुका हूँ   हार हार कर
सूझता नहीं कोई राह
लेकर मोदी अंकल से पंगा
हो गयी पार्टी अपंग !!!!!
दिग्गी जैसा दूरदर्शी मार्गदर्शक
करा दिया पार्टी का बेरा गर्त
पग पग पर खड़ा है चमचा
समझता मुझको छोटा बच्चा !!!!!
मोदी अंकल बड़े भयंकर
मैं छोटा बच्चा नादान
वो राजनीति के बड़े धुरंधर
मैं ठहरा राजनीतिक शिशु नवजात !!!!!
ना जाने क्या क्या  हथकंढे अपनाया
ना जाने कितने आरोप लगाया
सूट की किमत दस लाख बताया
मोदी अंकल फिर मारी बाजी
सूट चार करोड़ तइस लाख में बिकाय !!!!!
अब रहा न गया
देखी न गयी अपनी चीर हरण
चारु दिशा लगी ठहाका
छलनी छलनी हो गयी मेरी सीना !!!!!
मैं क्या करता बता मेरी माँ
तेरे चमचों के बिच घिर कर
मैं घूट घूट कर मरता था
इसलिए
मैं छोड़ तेरी राजनीतिक पल्लू
दूर बहुत दूर आ गया हूँ !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
(so sorryyyyyyyy)


मंगलवार, 3 मार्च 2015

Faguk fuharrrrrrrrrrrr

उपस्थित समस्त भंगीएल फगुएल श्रोता केँ
गणेश झा "बाबरा" "मैथिल" के रंगाएल प्रणाम !!
हमर फकड़ा आहाँके नीक लागत
हम कनेको खराब नहिं पाएब
जँ खराबे लागत त की करब
दुटा मालपुआ बेसी खाएब !!
जे सभ बिनु बिआहल छी हाथ उठाऊ
आहाँ सभ लेल विशेष पैकेज लाएल छी
निके छी बिनु बिआहल छी
नुआ लत्ता लिपीस्टिक अल्ता
जोड़' सँ बाँचल छी
निके छी साजल छी
बिनु नथिएल बड़द छी
बाजार मे बिकाए लेल अड़ल छी !!
जे सभ बिआहल छी ठार भ जाउ
कारण हमर बात लागत मिर्चाइ जेना
भ जाएब सीधा काँच कर्ची जेना
खा क कहू शपत
के नहिं छी अपन बहुअक भगत
जँ झूठ बाजब त कनियाँ काटत
जँ साँच बाजब त श्रोता काटत
मुदा आहाँक व्यथा हम बुझै छी
कारण धोकरा के माइर धोकरे बुझै छै !!!
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