आहः !
हे देव !
कतअ छ नुकाएल तूं ?
अपने स्वर्गमे राज करै छ
धरती पर मानवके लहू लुहान करै छ !!
की स्वर्गोमे तोरा आ अल्लाहमे लड़ाई होइत छ ?
हमरा जनैत तूं सब एकै छ
एकहि सूरज एकहि चन्द्रमा
पूरे जगतके इजोत केने छ ।
केयो द्वितियाक चान देख ईद मनाबै छ
केयो चौठक चान देख चौरचन मनाबै छ
केयो गंगाक पानि सँ तोरा नहाबै छ
केयो गंगाक पानि सँ अजान पढै छ
आब अल्लाह राम दूनु अवतरीत होब
अपन बनाएल सुन्नर संसारके बचाब'
नहि त सनकल मनुष नाश क देतअ !!!
:गणेश मैथिल
हे देव !
कतअ छ नुकाएल तूं ?
अपने स्वर्गमे राज करै छ
धरती पर मानवके लहू लुहान करै छ !!
की स्वर्गोमे तोरा आ अल्लाहमे लड़ाई होइत छ ?
हमरा जनैत तूं सब एकै छ
एकहि सूरज एकहि चन्द्रमा
पूरे जगतके इजोत केने छ ।
केयो द्वितियाक चान देख ईद मनाबै छ
केयो चौठक चान देख चौरचन मनाबै छ
केयो गंगाक पानि सँ तोरा नहाबै छ
केयो गंगाक पानि सँ अजान पढै छ
आब अल्लाह राम दूनु अवतरीत होब
अपन बनाएल सुन्नर संसारके बचाब'
नहि त सनकल मनुष नाश क देतअ !!!
:गणेश मैथिल