सोमवार, 18 जुलाई 2016

कविता..जिनगी फरेब थिक

सब झूठ थिक फरेब थिक
मायाक मकरजालमे फसल अछि इंसान
ओझराएल जिनगी फरीछाएब मुश्किल
एतबे उधेर बुनमे कटैत जा रहल अछि जिनगी
भीन्सरे उठि खुरपी ल
बौइनक ओरीयानमे निकैल जाइत छी
नैन्ना भुटका टकटकी लगौने रहैत अछि
बाबू लबनचुस लेने औता
अतेक गांठमे गठीएल अछि जिनगी
जे गांठके खोलहेमे ओझरा जाइत छी
नेन्ना भुटका टकटकी लगौने रहि जाइत अछि
हम बिसैर जाइत छी लायब लबनचुस ।