बुधवार, 5 मार्च 2014

nukkar

नुक्कर नाटक : "मिथिला राज्य "
पात्र : १. सुरेन्द्र २ बिल्टू ३ बेचन


(बिल्टू आ सुरेन्द्र गामक चाय दुकान पर चाय पिबैत, ओम्हर स बेचन अबैया  )
बेचन :(बिल्टू आ सुरेन्द्र के )--गोड़ लागै छिओ काका !!
बिल्टू आ सुरेन्द्र : खूब खुश रह !! की हाल चाल  हौ ???
बेचन: बड्ड निक हई काका ! एक खबर बड्ड निक हई !!
बिल्टू: ...की ?
सुरेन्द्र : बाजे न !! की सरकार कोनो रिलीफ फण्ड देतै ??
बेचन : नै हो काका! मिथिला राज्य बनते  मिथिला राज्य --अपन स्वराज !!!
बिल्टू: से तोरा के कहि देलकौ ! कतेको दिन सॅ हमहुँ सभ सुनै छी , मुदा , ई सभ बकवाश हई !!!!
सुरेन्द्र : हाँ. हाँ ई सभ झूठे के हल्ला क दैत हई आ चुप भ जाइत हई
बिल्टू: आ की  हेतई मिथिला राज्य ल क ??? की नाम बदल गेला सॅ भाग्य बदल जेतै ???
सुरेन्द्र : की मिथिला क्षेत्र के दरिद्रता दूर हेतै ??
बेचन: हाँ  हाँ काका !! सभ होतै...जखनी मिथिला राज्य बनते त अपन स्वराज होतै ...अपन पहिचान होतै ...अपन क्षेत्र के अपना हिसाबे बिकाश होतै ..आ आब ई झूठ के सपना न हई !!! ई सच होतै !!!! आ बिल्टू काका ! आई हमरा सभ बिहारी के नाम ल जिबै छी आ ऐ कारण हमरा सभ के सभ जगह बेइज्जती होबे पड़ै हबे ...मुदा ज दोसर जगह के लोक के कही जे हम ओइ मिथिला के संतान छी जाहि धरती पर सीया सन धिया जन्म लेली आ राम पाहुन बनलइन त लोक आदर आ सम्मान करै हई !!!!!!
बिल्टू:मुदा , मिथिला में हई की ? अलग भेला पर की खाएब ??
बेचन : काका ! की नै हई मिथिला में----पानी हई , भूमी हई , श्रम हई , योग्यता हई सभ कुछ हई ..मुदा सभ केयो भदेश ध लेने हई ...जखनी मिथिला राज्य बनते त नब नब प्रोजेक्ट लगतै , सभ के रोजगार भेटतै आ भदेश गेल लोक सभ घुइम क अपना मिथिला अतै आ फेर सॅ मिथिला स्वर्ग सॅ सुन्दर भ जेतै !!!!!!!!!
सुरेन्द्र :बात त ठीक हौ तोहर बेचन , मुदा , मिथिला राज्य बनते कोना ????
बिल्टू: ठीक कहै जे बेचन ! हम  सभ अपन शक्ति भुइल गेल छी !! ठीके की नै अइछ हमरा सभ लंग !!!!!!
बेचन: काका सभ!! मिथिला राज्य बनाबे खातीर एक संगठन बनलैया जेकर नाम हई "मिथिला राज्य निर्माण सेना "..जे मिथिला राज्य लागी आन्दोलन क  रहल हई आ हमहुँ एकर एक "सेनानी " छी ..एकर मात्र एक संकल्प हई "समृद्ध आ सभ्य मिथिला राज्य "
बिल्टू: त आई से हमहुँ तोरा सभ के संग छी तन , मन आ धन सॅ ...पेट खातिर त बड्ड जिली आब अपन मातृभूमि के खातिर जिब अपन पहिचान खातिर जिब...
बेचन : जय मिथिला
सुरेन्द्र : हमहुँ संग छिओ समांग ....आई सॅ रोज गामे गामे जा के लोक के जगाएब "अपन स्वराज मिथिला राज्य " खातिर
                               (बेचन, बिल्टू , सुरेन्द्र  एक संग )
"जय मिथिला, जय मैथिली, जय मिथिला राज्य आन्दोलन"