बुधवार, 23 सितंबर 2015

नि नाटक: जागु

नाटक: जागु
दृश्य: सातम, समय: दुपहरिया
 स्थान: गाछीक दृश्य
(स्टेज पर एक कोना मे नन्हकु काका,रहीम,सोहन आ मोहीत ताश खेलाइत, बगलमे शराबक बोतल, गीलाश आ पानि राखल। दोसर दिश सँ बिल्टूके गीत गुनगुनाइत स्टेज पर प्रवेश मुदा ध्यान ताश खेलाइत व्यक्ति दिश नहि)
रहीम: (बिल्टूके देखैत) रौ सोहन ! देख, बिल्टू भैया ! चल नुका क निकैल जाइत छी...
सोहन: दुत्त बुड़ि बागर ! केकरा सँ डेराइत छें ? बिल्टं सँ ? जे खुदे बिल्टल छै
मोहीत:...चल चल पत्ता फेंक, तुहूँ एरे गेरे नथ्थु खेरे सँ डेराए लगैत छें
नन्हकु काका:...कहे लेल बी.ए पढ़ल अछि, मुदा मुफ्तक रोटी तोड़ैत अछि! भरि दिन घरे घरे उपदेश झारैत रहैया...(सभ केयो जोर सँ ठहाका लगाबैत)
बिल्टू: (सब गप सुनि सोचैत आगु बढैया आ नन्हकु सँ)...ठीक कहलौं!!
हम भाग्यक मारल बी.ए. पास क मुफ्तक रोटी तोरैत छी, मुदा, आहाँ त समाजक 'वर्तमान आ भविष्य' दुनू अन्हार क रहल छी ! ठीक कहल गेल छै--जेकर बड़का छुलाहि तेकर छोटका भड़े लागल खाए--आहाँके त चुल्लु भइर पानि मे डूबि मरबाक चाही
मोहीत: (तमतमाल)...बिल्टू भाई ! ई अनेरोंके बकवाश उपदेश नहि झारू ! ताश खेलबामे डिस्टर्ब भ रहल अछि
सोहन:...भलमन्सी अछि त एत' सँ चलि जाउ नहि त गप बिगैर जाएत
बिल्टू: (सोहन आ मोहीतके गाल पर झापर मारैत)...की कहलाँ ?? गप बिगैर जाएत !!..अरे अभागा सब, भाग्य त तोहर सभक बिगैर गेल छौ, जें पढबाक लिखबाक अवस्थामे जुआ आ शराब मे लागल छें ! अपन आ समाज दुनूके भविष्य अन्हार क रहल छें !!! (बिल्टूके तमशाएल देख रहीम भागि जाइत अछि)
 सोहन: (कापैंत)...ई सभ नन्हकु...
बिल्टू:....अरे मुर्ख सभ ! नन्हकु काका त जिनगीक अन्तिम पड़ाव मे छथि, मुदा, तोहर सभक पुरा जिनगी बाँचल छौ, एखनहुँ समय छौ सुधैर जों । सभ्य आ संस्कारी मनुष बनबाक चेष्टा कर । पढबाक लिखबाक मतलब नौकरीए भेनाइ नहि होइत छै, शिक्षाक अर्थ थिक एक सभ्य, संस्कारी आ सुशिक्षीत व्यक्ति भेनाइ ।।
नन्हकु:(कल जोड़ैत)...बेटा! हमरा क्षमा क' द'!  हम शपत खाइत छी आइके  बाद शराब आ ताशके हाथ नहि लगाएब
बिल्टू:...क्षमा हमरा सँ नहि क्षमा एहि बच्चा सभ सँ माँगू जेकर भविष्य आहाँक कारणे बर्बाद भ रहल छै
नन्हकु:...बेटा तूं जे कहब' हम करबाक लेल तैयार छी
बिल्टु:...आहाँ बिगरल बच्चा सभके सही राह पर लाउ, जँ आहाँ सँ बच्चा बिगैर सकैत अछि त सुधैरो सकैत अछि
 सोहन-मोहीत:(एक संग)...भाईजी हमरा माफ क दिअ!! हमर आँखि खुजि गेल , हम सब पढ' चाहैत छी, मुदा
बिल्टू:...मुदा की ??
मोहीत:...भाईजी हमरा सभके त कखारा नहि आबैत अछि त स्कूलमे कोना दाखिला लेत?
बिल्टु:...हम साँझ क 'सम्पूर्ण शिक्षा अभियान' के तहत अनपढ सभके पढाबैत छियै, तुहूँ सभ आबि पढिहअ।
सोहन-मोहीत:..ठीक छै भैया हम सभ जरूर आएब ।।।
(सभके प्रस्थान)
पर्दा खसैत आछि