सोमवार, 28 सितंबर 2015

हे ! हे!! हे!!!
एहन की पाप करै छी
जीबते जी बेटा बेचै छी
दुर...छीं ! छीं !! छीं !!!
पुतहुओ चाही लिखल-पढल
ताहु पर छी कैंचा लेल अड़ल
दुर...छीं ! छीं !! छीं !!!
जँ अपन कमाइ सँ नहि घर बनल
त की बेटा बेच पीटब कोठा ??
दुर...छीं ! छीं !! छीं !!!
यौ महाशय एक गप कहु
की आहाँक बेटा घी मे नहाएल
हमर बेटी पानिए पर पोशल ??
दुर...छीं ! छीं !! छीं !!!
यौ जँ हमरा बेटीक लेल चाही वर
त अहूँ बेटाक लेल चाही कनिञां
तोड़ि विधाताक बनाएल विधी
बेटा बेच किएक बनै छी बनियां ??
दुर...छीं ! छीं !! छीं !!!
     : गणेश मैथिल
   सचिव, दहेज मुक्त मिथिला