शनिवार, 14 नवंबर 2015

गीत

माए:---
रौ बौआ
कोना क' बिसैर गेलहीन
अपन आँगनक दुरखा
देखहीन तोरा लेल
कानि रहल छौ अँगना
रौ बौआ
कोना क' बिसैर गेलहीन
अपन आँगनक दुरखा !!
दू पाई तूं,  की कमेला
गाम घर, सब गमेला
बाट जोहै छौ अँगना
रौ बौआ
कोना क' बिसैर गेलहीन
अपन आँगनक दुरखा !!
बेटा:---
गै माए
पेटक खातीर
छोड़लौं गाम घर
पेट लागल अछि पोसीया
गै माए
कोना क' कहियो
अपन मनक दुखरा !!
मालीक अछि बड्ड कसैया
दिन राति काज कराबैया
गाम आबे लेल छी हम आतुल
मुदा, छुट्टी नहि दैया
गै माए
कोना क' कहियो
अपन मनक दुखरा !!
गै माए
जँ निके-नाके रहबौ
अगिला बरख, जरूरे एबौ
नहि कनिहाँए तूं शपत हमर
गै माए
कोना क' कहियो
अपन मनक दुखरा !!
:©गणेश मैथिल