बुधवार, 30 अप्रैल 2014
शनिवार, 19 अप्रैल 2014
sita
"सीता "
एकटा नारी के एहन दशा
केना लिखू हम हुनकर कथा ?
जे कहियो दुःख छोड़ि सुख नहि केली
केना क कहू हम हुनकर व्यथा ?
नहि आर केकरो इ बात छै
इ त मिथिला के बेटी
माँ सीता के छै कथा !!
जे सीता महल में रहली
हर सुख-सुविधा में पलली
नहि जानि केकर नजैर लागल
विआह होइते वनवाशिक जिनगी कटली ?
जखन लक्ष्मण- रेखा सीता लंघली
सभ अवाज़ उठेलक
मुदा इ अवाज़ कहाँ छल सभक
जखन राम सीता के घर सँ बेललैन ?
कहाँ छैथ लोक मर्यादा पुरुषोत्तम राम
कुन मर्यादा के इ लाज रखलैन
गर्भवति पत्नि के देलैन छोड़ि
केलैन सभ मर्यादाक उलंघन
तइयो कहाबैथ पुरुषोत्तम राम ?
आदर्श छैथ नारी लेल मिथिलाक बेटी सीता
बार बार देली अग्नि परीक्षा
तइयो जँ लोक नहि विश्वाश केलक
त समा गेली धरती में माँ सीता !!
आइयो हर एक डेग पर
मिथिलाक बेटी दैत अछि अग्नि परीक्षा
मुदा कहिया तक धरती में समेती सीता ???
:कंचन कुमारी
Aadrs chatin maa sita je agani paricha daa k pabitar bhak e k elkin nai kelk keu bisws maa sita pas ta sita dharti m sama gelkin.
gajal
छोड़ि गेलौँ जरैत हमरा
धधकैत प्रेमक आगि मे
हम तड़पैत झड़बैत छी नोर
प्रिय हरदम आहाँक याद मे ।
अहीं छलौँ सर्वस्व हमर
नहि आर केयो संसार मे
जँ अहीं नहि भेलियै हमर "प्रिय "
त हमर कुन मोजर संसार में ।
रखलौं सहेज हम "प्रिय"
आहाँक प्रेमक चारि दिन
आएब आहाँ होएत पुन: मिलन
रहलौं हम बैसल एहि आश मे ।
कतेको दिवश बितल "प्रिय "
आहाँ नहि लेलौं सुधि हमर
हारल मारल जिनगी हमर
मुदा हम जीब आहाँक याद मे ।
:गणेश कुमार झा "बावरा "
धधकैत प्रेमक आगि मे
हम तड़पैत झड़बैत छी नोर
प्रिय हरदम आहाँक याद मे ।
अहीं छलौँ सर्वस्व हमर
नहि आर केयो संसार मे
जँ अहीं नहि भेलियै हमर "प्रिय "
त हमर कुन मोजर संसार में ।
रखलौं सहेज हम "प्रिय"
आहाँक प्रेमक चारि दिन
आएब आहाँ होएत पुन: मिलन
रहलौं हम बैसल एहि आश मे ।
कतेको दिवश बितल "प्रिय "
आहाँ नहि लेलौं सुधि हमर
हारल मारल जिनगी हमर
मुदा हम जीब आहाँक याद मे ।
:गणेश कुमार झा "बावरा "
मंगलवार, 15 अप्रैल 2014
nahi lebai dahej
बुच्चा +बुच्ची : हम मिथिला के छी नवतुरीआ
हम खाई छी शपथ -----
नहि लेबई हम दहेज़
नहि देबई हम दहेज़
चुइन लेबई अपन संगी
अपन मन सँ करबई विआह !!
बुच्चा : हम नहि बिकाएब बड़द जँका
नहि बनब हम घर घुसना
हमहुँ छी इंसान यौ बाबू
अछि हमरो अपन सम्मान !!
हम मिथिला के छी नवतुरीआ
हम खाई छी शपथ -----
नहि लेबई हम दहेज़
नहि देबई हम दहेज़
चुइन लेबई अपन संगी
अपन मन सँ करबई विआह !!
बुच्ची :हम बेटी छी त की भेलई
अछि हमरो अपन सम्मान
नहि किनब हम बरद यौ बाबू
चाहे हम भइर जिनगी रहब कुँवाइर !!
हम मिथिला के छी नवतुरीआ
हम खाई छी शपथ -----
नहि लेबई हम दहेज़
नहि देबई हम दहेज़
चुइन लेबई अपन संगी
अपन मन सँ करबई विआह !!
:गणेश कुमार झ :बावरा:
हम खाई छी शपथ -----
नहि लेबई हम दहेज़
नहि देबई हम दहेज़
चुइन लेबई अपन संगी
अपन मन सँ करबई विआह !!
बुच्चा : हम नहि बिकाएब बड़द जँका
नहि बनब हम घर घुसना
हमहुँ छी इंसान यौ बाबू
अछि हमरो अपन सम्मान !!
हम मिथिला के छी नवतुरीआ
हम खाई छी शपथ -----
नहि लेबई हम दहेज़
नहि देबई हम दहेज़
चुइन लेबई अपन संगी
अपन मन सँ करबई विआह !!
बुच्ची :हम बेटी छी त की भेलई
अछि हमरो अपन सम्मान
नहि किनब हम बरद यौ बाबू
चाहे हम भइर जिनगी रहब कुँवाइर !!
हम मिथिला के छी नवतुरीआ
हम खाई छी शपथ -----
नहि लेबई हम दहेज़
नहि देबई हम दहेज़
चुइन लेबई अपन संगी
अपन मन सँ करबई विआह !!
:गणेश कुमार झ :बावरा:
BHRuN HatYa
भूण हत्य|
आई मन में एकटा विचार भेल
किया समाज खराब भेल|
जनइत अछइत में
किया करई छै ...
समाज इ अपराध,
जै मालुम छै
भूण हत्या छै महापाप||
इ कथा मिथिला समाज के सिर्फ नहि अछि,
समस्त समाज में फैलइत इ पाप अछि|
जनइत अछइत में किया करई छै समाज इ अपराध,
जै मालुम छै भूण हत्या छै महापाप||
जै बेटा रहइत त मान करई छि,
बेटी रहइता त माईर फैकइ छि|
ओइ अबोध शिशु सै कि भेल एहन अपराध,
किया करई छै समाज एहन काज,
जै मालुम छै भूण हत्या छै मयहापाप||
सीता,मीरा, लछ्मीबाई तीनों छथीन,
आदर्श,प्रेम और वीरताक देवी,
कि नहि मिलन हीनकर सभक मैया बाबू के सम्मान?
आई कौन बेटा आइब करई छथीन जनक जी के नाम,
बेटी बचाऊ अहि में अछि सभक सम्मान,
जनइत अछइत नहि करु इ अपराध,
जै मालुम अछि भूण हत्या छै महापाप||
:"कंचन कुमारी झा"
आई मन में एकटा विचार भेल
किया समाज खराब भेल|
जनइत अछइत में
किया करई छै ...
समाज इ अपराध,
जै मालुम छै
भूण हत्या छै महापाप||
इ कथा मिथिला समाज के सिर्फ नहि अछि,
समस्त समाज में फैलइत इ पाप अछि|
जनइत अछइत में किया करई छै समाज इ अपराध,
जै मालुम छै भूण हत्या छै महापाप||
जै बेटा रहइत त मान करई छि,
बेटी रहइता त माईर फैकइ छि|
ओइ अबोध शिशु सै कि भेल एहन अपराध,
किया करई छै समाज एहन काज,
जै मालुम छै भूण हत्या छै मयहापाप||
सीता,मीरा, लछ्मीबाई तीनों छथीन,
आदर्श,प्रेम और वीरताक देवी,
कि नहि मिलन हीनकर सभक मैया बाबू के सम्मान?
आई कौन बेटा आइब करई छथीन जनक जी के नाम,
बेटी बचाऊ अहि में अछि सभक सम्मान,
जनइत अछइत नहि करु इ अपराध,
जै मालुम अछि भूण हत्या छै महापाप||
:"कंचन कुमारी झा"
शनिवार, 12 अप्रैल 2014
kavita--betik pukar
"बेटीक पुकार "
ठोहि पाइर क कहैया
बेटी एहि समाज सँ
जीबअ दिअ हमरा बाबू
हम नहि छि अभागिन यौ !!
जँ मौका देबई हमरो बाबू
हमहूँ बनबई डॉक्टर आ कलेक्टर
करब आहाँक नाम रौशन
जीबअ दिअ हमरा बाबू यौ !!
मानलौं बेटी धन छै पराया
छोइड़ चइल जाएत घर आहाँक
मुदा इ नियम समाज बनेलक
एहि मे हमर कोन दोष यौ !!
: गणेश कुमार झा "बावरा "
ठोहि पाइर क कहैया
बेटी एहि समाज सँ
जीबअ दिअ हमरा बाबू
हम नहि छि अभागिन यौ !!
जँ मौका देबई हमरो बाबू
हमहूँ बनबई डॉक्टर आ कलेक्टर
करब आहाँक नाम रौशन
जीबअ दिअ हमरा बाबू यौ !!
मानलौं बेटी धन छै पराया
छोइड़ चइल जाएत घर आहाँक
मुदा इ नियम समाज बनेलक
एहि मे हमर कोन दोष यौ !!
: गणेश कुमार झा "बावरा "
गुरुवार, 10 अप्रैल 2014
baju maithili
"बाजू मैथिली "
मान करू सम्मान करू
मिथिलापुर के नाम करू
मैथिल छि त बाजू मैथिली
नहि मैथिली के अपमान करू !!
मैथिल भ मैथिली बाजे मे
किया करइ छि सँकोच ??
मैथिल छि त बाजू मैथिली
मातृभाषा के सम्मान करू !!
मैथिली अपन सभक अछि धरोहर
नहि धरोहर के त्याग करू
मैथिल छि त बाजू मैथिली
नहि मैथिली के अपमान करू !!
:कंचन कुमारी झा
बुधवार, 9 अप्रैल 2014
kavita: by kanchan kumari
"की बेटी भेनाइ छै अपराध "
पुइछ रहल अछि आइ बेटी इ सवाल
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??
किया बेटी के जीवन भेल बेकार
किया बेटी के जन्म लेनाइ भेल पहाड़
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??
ज बेटा जन्मे घर मे
बाँटैत छी भइर गाम मिठाई
ज बेटी जन्मैया
त किया पिटैत छी माथ-कपाड़
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??
घर मे त भगवती पुजैत छी
देवी पूजा पाठ करैत छी
त फेर किया बेटी संग दुर्यव्यवहार
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??
आई दहेजक लोभ मे
समस्त समाज भेल छै ग्रस्त
आर किछु त प्रगति नहि भेल
बेटी सभ लेल भेल कष्ट
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??
:कंचन कुमारी झा :
मंगलवार, 8 अप्रैल 2014
kavita: Mithilawashi: kanchan kumari
"मिथिलावाशी "
हम छि मिथिला के वासी
मैथिली हमर नाम अछि|
जहाँ हर घर मिथिला धाम बसइया ,
ओहिठम हमर गाम अछि| ।
जहाँ धरती फोइर सीता जी भेली
जनक नन्दनी नाम कहेली
ओहिठम हमर धाम अछि।
हम छि मिथिला के वासी
मैथिली हमर नाम अछि|।
जहाँ हर आँगन ओरहुल फूल खिलाइया
हर घर माँ भगवती बसइया
ओहिठम हमर गाम अछि।
हम छि मिथिला के वासी
मैथिली हमर नाम अछि| ।
जहाँ वेद पुरान के ज्ञान में
मिथिलापुर के नाम अछि
जहाँ विद्यापति कोकील कवि
मिथलापुर के शान अछि
ओहिठम हमर गाम अछि।
हम छि मिथिला के वासी
मैथिली हमर नाम अछि| ।
: "कंचन कुमारी झा"
सोमवार, 7 अप्रैल 2014
kavita--उताइर् फेंकू
" उताइर् फेंकू "
तोइड़ दिअ जाइत-पाइत केँ बन्हन केँ
उठू ठार होउ बढू आगाँ हे मैथिल संतान
थाइम लिअ हाथ बेबश-निर्धन केँ !!
छोइड़ दिअ तुच्छ स्वार्थ भावना केँ
बुझि -सुझि करू ओ काज हे मैथिल संतान
जाहि सँ लाभ हुआ समस्त समाज केँ !!
बिसैर जाउ भेद अपन आन केँ
जाइन लिअ पहचाइन लिअ हे मैथिल संतान
हम सभ छी संतान एकहि माए केँ !!
उताइर् फेंकू चद्दैर मिथ्या अहम् केँ
होबए दियौ सभके विकाश हे मैथिल संतान
तखने होएत कल्याण मैथिल-मैथिली-मिथिलाधाम केँ !!
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी
तोइड़ दिअ जाइत-पाइत केँ बन्हन केँ
उठू ठार होउ बढू आगाँ हे मैथिल संतान
थाइम लिअ हाथ बेबश-निर्धन केँ !!
छोइड़ दिअ तुच्छ स्वार्थ भावना केँ
बुझि -सुझि करू ओ काज हे मैथिल संतान
जाहि सँ लाभ हुआ समस्त समाज केँ !!
बिसैर जाउ भेद अपन आन केँ
जाइन लिअ पहचाइन लिअ हे मैथिल संतान
हम सभ छी संतान एकहि माए केँ !!
उताइर् फेंकू चद्दैर मिथ्या अहम् केँ
होबए दियौ सभके विकाश हे मैथिल संतान
तखने होएत कल्याण मैथिल-मैथिली-मिथिलाधाम केँ !!
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी
शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014
Kavita--BETI
"बेटी "
कहिया तक दहेज के खातिर
बेटी के चढ़तै बलिदान
जागू जागू यौ मिथिलावाशी
बेटी के करू सम्मान !!
बेटा के भेजी निजी स्कूल
बेटी के सरकारी स्कूल
बेटा लेल सोची बने डॉक्टर
बेटी भले रहाए अनपढ़
जागू जागू यौ मिथिलावाशी
जुनि करू बेटी संग ई दुर्यव्यवहार !!!
जाहि कोइख सँ जन्मल बेटा
ओहि कोइख सँ बेटी
जतबा पीड़ा बेटा मे
ओतबी पीड़ा मे बेटी
त बताऊ यौ मिथिलावाशी
बेटा भेल कोना अनमोल
बेटी के नहि कोनो मोल
देखू देखू यौ मिथिलावाशी
केहन भेल ई अनहोर !!!!
बेटा जन्माए त करी भोज
बेटी जन्मिते पिटी कपाड़
जँ केकरो लागी गोर
त आशिष में कहैथ बेटा होथ
सोचू सोचू यौ मिथिलावाशी
बेटी के प्रति किया एहन सोच !!!!!!
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी (09864406875)
कहिया तक दहेज के खातिर
बेटी के चढ़तै बलिदान
जागू जागू यौ मिथिलावाशी
बेटी के करू सम्मान !!
बेटा के भेजी निजी स्कूल
बेटी के सरकारी स्कूल
बेटा लेल सोची बने डॉक्टर
बेटी भले रहाए अनपढ़
जागू जागू यौ मिथिलावाशी
जुनि करू बेटी संग ई दुर्यव्यवहार !!!
जाहि कोइख सँ जन्मल बेटा
ओहि कोइख सँ बेटी
जतबा पीड़ा बेटा मे
ओतबी पीड़ा मे बेटी
त बताऊ यौ मिथिलावाशी
बेटा भेल कोना अनमोल
बेटी के नहि कोनो मोल
देखू देखू यौ मिथिलावाशी
केहन भेल ई अनहोर !!!!
बेटा जन्माए त करी भोज
बेटी जन्मिते पिटी कपाड़
जँ केकरो लागी गोर
त आशिष में कहैथ बेटा होथ
सोचू सोचू यौ मिथिलावाशी
बेटी के प्रति किया एहन सोच !!!!!!
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी (09864406875)
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