रविवार, 22 जनवरी 2012

KAVITA--बड़का काका"

"बड़का काका"
बड़का काका छलाह नामी- गामी
मुदा छलाह बड्ड कंजूस,
चारिटा छलैन्ह बेटा हुनका
मुदा नै छलैन्ह एकटा सपूत
जखन हुनक धड़ खसलैन
बेटा सब लेलकनी बटुआ छीन,
जकरा लेल पेट काईट जमा केलनि
वाएह सब केलकनी हुनका भिन्न
बड़का काका ओछाइन पर पड़ल
गुन्ह-गिन्जन भेला
अपन देख इ दशा
अपना भाग्य पर कनैत छलाह
जखन मृत्यु काल समीप छलैन्ह
वाक् -नाड़ी सब बंद छलैन्ह
बेटा सब देलकनी बेतरनी कराए
पुतौहू सब झौहट पारि कानै लगलनी
नाती -पोता सब देलकनी धार कात पहुँचाए
बड़का काका के बड्ड भाग्य-
जीवैत नै लगौलनी कहियो तेल
मुदा मुइला उपरांत लगलनी सौंसे देह घृत,
औछाइन पड़ला त पानि नै भेट्लनी
मुदा मुइला उपरांत गंगा -स्नान ,
जीवैत कहियो गाएक दूध नै पिला
मुदा मुइला उपरांत वैदिक श्राद्ध,
जीवैत नै भड़ी पेट खेला भात
मुदा मुइला उपरांत गामक भोज
बड़का काका केलनि आकाशवाणी --
जूनि करू एहन व्यव्हार
जीवल में देलहूँ औंघराए कात
मुइला उपरांत लुटाबई छी
खोलि दुनु हाथ ........!!!!!!!!!!!
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी

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