मंगलवार, 24 जनवरी 2012

PHILOSOPHY

एहि संसार में दु:खक की कारन थिक....सब किछु होइतो लोग दुखी रहैत अछि...एहि सन्दर्भ में राजा जनक जीक फिलोसोफी काफी महत्वपूर्ण अछि....जनक जीक कथन छैन जे लोग दू शब्दक कारन दुखी रहैत अछि...प्रथम ---ज' हम केकरो सँ "अपेक्षा" करी आ ओ पूरा नै हुआ .....दोसर---ज' हम केकरो "उपेक्षा" करी..अर्थात "अपेक्षा" आ "उपेक्षा" समस्त दु:खक कारन थिक...ज' हम एहि दू शब्द के मायाजाल सँ छुटि जाई त' गृहस्थ आश्रम में रहितो "योगी" कहाएब.....हुनक कथन छैन जे---हम सब जाही पद पर रही ओही पदक कर्तव्यक निर्वहन करी....कोनो दुःख नै होएत..

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