मंगलवार, 24 जनवरी 2012

KAVITA



" बेटी "
बेटी के जुनि बुझू अभिषाप
बेटीए छैथ सृष्टिक आधार
अपन मिथ्या प्रदर्शनक कारण
नै छिनियो ओकरा सँ ओकर
जीवक जन्म- सिद्ध अधिकार
हटा फेंकू मिथ्या अहँग
बेटी नै छैथ बौक-बहीर-अपँग
बढ़अ दिऔ ओकरा आगाँ
हर एक डेंग पर दिऔ संग
सीता के अछि बहिन ओ
बनूँ पिता जनक समान
बना ओकरा घरक गुड़िया
नै करियो
ओकर इच्छा -आकाँक्षा के बलिदान ....
:गणेश कुमार झा "बावरा"
गुवाहाटी

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