व्यग्र अछि मन हमर, उग्र होबे लेल आतुर अछि, मुदा एहन संस्कार हमर, मन हमर साधल अछि । मुदा, की करब राखि संस्कार, जखन खतरा मे अछि पुरा मैथिल सभ्यता, आब बने पड़त परशुराम...क्रांति...जय मिथिला
मैँ पथ का पथिक अकेला, छोड़ दिया सब साथ मेरा, पर मैंने स्वयं को नहीं छोड़ा, न मुशिबतों से कभी डरा, न असफलताओं से माना हार, जो मिला स्वीकार किया और निरन्तर अपने कर्म पथ पर चलता रहा, क्योंकि पता था मुझे,o राहें मंजिल का ये अन्त नहीं, इसलिए राहें मंजिल में जब, थक हार बैठ जाता हूँ- तो मंजिल कहती है मुझे, उठो राही राह छोड़ों नहीं, बस मैं करीब हूँ, फिर उठता हूँ बढता हूँ आगे, आँखों में आशाओं के दीप जलाए हुए, मैं पथ का पथिक अकेला..
अकेले हम आए जहां में
अकेले है जाना जहां से
फिर हम क्यूँ किसी से
करते है आशा जहां में.…
मतलब की है ये दुनियाँ
मतलब की है सारे नाते ….
जिस डगर हम चले है जहां में
उसकी न कोई मंजिल हैं
अनन्त है ये दुनियाँ
इसकी न कोई डगर हैं.…
किस डगर मैं जाऊँ
डगर की न कोई खबर हैं.…….
मिथिला
राज्य ल क रहबौ, सुनि ले पटना दिल्ली के सरकार... बड्ड सताएला बड्ड कनौलाए,
आब नै सहबौ अत्याचार... सगरो मैथिल जागि रहल छै, माँगि रहल छै अपन
अधिकार...
"मिथिला राज्य अपन अधिकार"
:एक अभियान :
जन -जन कें मन मे बैसल
मिथिला राज्य अपन अधिकार.....
बड्ड दिन भाँग खाए भकुएअल छलहुँ
मुदा आब हम मैथिल जाइग गेलहुँ ......
अछि मधुर भाषा हमर मैथिली
अछि समृद्ध हमर साहित्य -संस्कृति
अछि ज्ञान -गंगा हमर धरोहर
मुदा, पथ -विचलीत भ गेल छलहुँ
अपन माए के आँचर सँ दूर भ गेल छलहुँ ......
आब आबि गेलहुँ
हे माए मिथिला आहाँक स्नेहक कोरा मे ......
नैन्ना -भुटका बड़का -छोटका
सब केओ जागि रहल अछि आब
एकहि स्वप्न सभक आंखि में
कहिया हेतहि अपन मिथिला राज्य?
कहिया अपन भाषा में पढबई?
कहिया भेटतै मान -सम्मान ?
हे मैथिल !
आब ओ दिन दूर नै
जहिया बनत मिथिला राज्य
शपथ खा चुकल छी
कफ़न बाँधि चुकल छी
चलि चुकल छी क्रान्तिक पथ पर
बस , आहाँ सभक आशीष आ सहयोग चाही
क्रान्तिक ध्वज अविरत फहराइत रहाए
ताहि हेतु सब मैथिल के हाथ चाही .......
जय मिथिला ! जय मैथिली !!
शनिवार, 29 जून 2013
He Mae Mithila , ham santan aahanke kriya khaeet chhi, Matribhumi ke gulami ke janjir sa , shighra chhoraeb ham aahanke aab ja nai jagab ham Mae, aahan nishche ni:santan kahaeb.....
"जीवन "
जीवन ! जीवन !! जीवन !!!
चलैत रहत एहिना हरदम |
नेक -अनेक रंग में रंगल
जीवन के हर एक क्षण |
कखनो हर्ष कखनो विषाद
जीवन के दुई मधुर फल |
हम यात्री छी जीवन के
यात्रा क' रहल छी |
सत्य -मिथ्या मिठगर -करुगर
चित्र -विचित्र जीवनक दृश्य सँ
साक्षात साक्षात्कार क' रहल छी |