मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

हम मैथिल छी बिहारी नै

'जय मिथिला '                  "क्रान्ति "                'जय मैथिली '
                                 
                      " जागू मैथिल नै त पहिचान मिट जाएत "                        
                            "  मिथिला राज्य आंदोलन"

रविवार, 29 दिसंबर 2013

KRANTI

व्यग्र अछि मन हमर,
उग्र होबे लेल आतुर अछि,
मुदा एहन संस्कार हमर,
मन हमर साधल अछि ।
मुदा, की करब राखि संस्कार,
जखन खतरा मे अछि पुरा मैथिल सभ्यता,
आब बने पड़त परशुराम...क्रांति...जय मिथिला

Jay Mithila

छोड़ि अपन देश मैथिल धेने छथि भदेश,
 गाम घर सभ सुन्न पड़ल छै,
 खेत खरिहान सभ बाट जोहैत छै,
कहिया औता मैथिल ललना,
कियाक अतेक निष्ठुर बनल छथि,
सभ किछु बिलाएल जा रहल अछि,
पहिने बिलाएल भेष फेर भाषा,
आबो आउ अपन देश,
सम्हारु जे बचल अछि अवशेष..जय मिथिला

गुरुवार, 7 नवंबर 2013

योगी

"योगी "
पहीर  चोला योगी केर हम ,
घर- द्वारि सभ  छोड़ि  देलौ
वने- वन बौएलौ
मने -मन  बौएलौ
मुदा  माया के नै छोड़ि पएलौ ।
      
            ठगि  अन्जान  इंसान  के
            हम  बेसी  धन  अरजलौ 
            स्वयं  इंसान बनि  नै सकलौ
            मुदा इंसान हमरा  भगवान बनेलक ।

बैस  मखमल  के सिंहासन पर
हैम उपदेश दैत  छी----------
"ई  संसार माया थिक
प्रभु में सभ केयो भ जाऊ लिन "!!!!!!!!!!

बुधवार, 23 अक्टूबर 2013

prarthna

प्रार्थना 
(कविकर  यात्री जी  द्वारा  रचित)
 
भगवान ! हमर  ई मिथिला 
सुख  शान्ति केर घर हो । 
आदर्श भए सभक ई 
इतिहाश में अमर हो ॥ 
 
जाहि  ठाम जाइ हम सभ 
सिंहे  तहाँ  कहाबी । 
दुर्दान्त होइ सबठान 
केवल अहाँक  डर हो ॥ 
 
जग भरि सुनी नचारी 
तिरहुति महेश्वानी । 
सभ केर कंठ पथमे 
मृदु मैथिलिक स्वर हो ॥ 
 
अत्यन्त शक्तिशाली 
जे द्वीप अछि तहु पर 
एहि देश केर भाषा 
ओ भेषहुक असर हो ॥ 
पसरए एतए यथोचित 
अभिनव कला कुषलता
प्रतियोगिताक रणमे
ई प्रान्त अग्रसर हो ॥ 
 
अंतिम विनय दयालु 
बस आब एकटा  जे 
ई पाग विश्वभरमे 
सबकेर माथ पर हो ॥  
  

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

pathik

मैँ पथ का पथिक अकेला,
 छोड़ दिया सब साथ मेरा,
 पर मैंने स्वयं को नहीं छोड़ा,
न मुशिबतों से कभी डरा,
 न असफलताओं से माना हार,
जो मिला स्वीकार किया और 
निरन्तर अपने कर्म पथ पर चलता रहा,
 क्योंकि पता था मुझे,o
राहें मंजिल का ये अन्त नहीं,
इसलिए राहें मंजिल में जब,
 थक हार बैठ जाता हूँ-
तो मंजिल कहती है मुझे,
 उठो राही राह छोड़ों नहीं,
 बस मैं करीब हूँ,
फिर उठता हूँ बढता हूँ आगे,
आँखों में आशाओं के दीप जलाए हुए,
मैं पथ का पथिक अकेला..

सोमवार, 12 अगस्त 2013

Akele

अकेले   हम  आए  जहां में
अकेले  है  जाना   जहां   से
फिर  हम  क्यूँ   किसी    से
करते   है  आशा  जहां   में.…
मतलब  की   है  ये  दुनियाँ
मतलब  की  है  सारे  नाते  ….
जिस डगर हम चले है जहां में
उसकी न कोई मंजिल हैं
अनन्त है ये दुनियाँ
इसकी न कोई डगर हैं.…
किस डगर मैं  जाऊँ
डगर की न कोई खबर हैं.…….
 

NETAJI

यौ मिथिला के नेताजी, कने हमर गप सुनु..
खाली अपने धोधि भड़ी, किछु जनतो लेल करु..
भाषा विला गेल साहित्य हेरा गेल,हेरा गेल मैथिल पहिचान
कने एम्हरो दियौ धियान......यौ मिथिलाके नेताजी,,,
कने एम्हरो दियौ धियान
यौ मिथिला...
नञि रोजगार सभ बेरोजगार,
नञि उद्योग नञि कोनो शोध,
त कोना क हेतइ विकाश , करियौ कोनो जुगार..
यौ मिथिला...
पाँच साल मे एक बेर एबै पाएर पकैड़ क वोट ल लेबै,
 फेर जेबै बिसैर गाम घर यौ मिथिला के नेता...
जँ आहाँ माए मिथिलाक कोखि सँ जन्मल,
 त रखियौ माएक लाज यौ मिथिलाक नेता...
यौ मिथिला के नेताजी...
 

गुरुवार, 11 जुलाई 2013

LALKAR

मिथिला राज्य ल क रहबौ, सुनि ले पटना दिल्ली के सरकार...
बड्ड सताएला बड्ड कनौलाए, आब नै सहबौ अत्याचार...
सगरो मैथिल जागि रहल छै, माँगि रहल छै अपन अधिकार...

गुरुवार, 4 जुलाई 2013

मिथिला राज्य अपन अधिकार

"मिथिला  राज्य अपन अधिकार"
                    :एक अभियान :
जन -जन कें मन मे बैसल
मिथिला  राज्य अपन अधिकार.....
बड्ड  दिन भाँग खाए भकुएअल छलहुँ
मुदा  आब हम मैथिल जाइग  गेलहुँ ......
अछि मधुर भाषा  हमर मैथिली
अछि समृद्ध हमर साहित्य -संस्कृति
अछि ज्ञान -गंगा हमर धरोहर
मुदा, पथ -विचलीत भ गेल छलहुँ
अपन माए के आँचर सँ दूर भ गेल छलहुँ ......
आब आबि गेलहुँ
हे माए मिथिला आहाँक स्नेहक कोरा  मे ......
नैन्ना -भुटका  बड़का -छोटका
सब केओ जागि रहल अछि आब
एकहि स्वप्न सभक आंखि में
कहिया हेतहि अपन मिथिला राज्य?
कहिया अपन भाषा में पढबई?
कहिया भेटतै मान -सम्मान ?
हे मैथिल !
आब ओ दिन दूर नै
जहिया बनत मिथिला राज्य
शपथ खा चुकल छी
कफ़न बाँधि  चुकल छी
चलि चुकल छी क्रान्तिक पथ पर
बस , आहाँ सभक आशीष आ सहयोग चाही
क्रान्तिक ध्वज अविरत फहराइत रहाए
ताहि हेतु सब मैथिल के हाथ चाही .......
जय मिथिला ! जय मैथिली !!


शनिवार, 29 जून 2013

 He Mae Mithila , ham santan aahanke
kriya khaeet chhi, Matribhumi ke
gulami ke janjir sa , shighra chhoraeb ham aahanke
aab ja nai jagab ham Mae, aahan nishche ni:santan kahaeb.....

 

गुरुवार, 28 मार्च 2013

jivan

"जीवन "
जीवन ! जीवन !! जीवन !!!
चलैत  रहत  एहिना हरदम |
नेक -अनेक रंग में रंगल
जीवन के हर एक क्षण |
कखनो  हर्ष कखनो विषाद
जीवन के दुई मधुर फल |
हम यात्री छी जीवन के
यात्रा  क'  रहल  छी |
सत्य -मिथ्या मिठगर -करुगर
चित्र -विचित्र  जीवनक दृश्य सँ
साक्षात  साक्षात्कार  क' रहल छी |

   :ganesh kumar jha "bawra"

judai

तुम्हारी इस बेरुखी से अच्छा,
 तो तुम्हारी जुदाई के गम थे,
 जो कम से कम धड़कन  बन,
 सिने मे धड़कते तो थे।
थोरी देर के लिए ही सही,
लेकिन याद कर तुम्हेँ,
यादोँ की गहरी सागर मेँ,
 यादोँ के सहारे--
 तुम्हारे दिदार तो किया करते थे।
 जब से आयी हो तुम,
न जाने क्यूं- -
नजरेँ मिलाने के वजाए,
नजरेँ चुराने लगी हो तुम?
कोई मिल गया है और,
 या मुझे समझने लगी हो गैर?

रविवार, 24 मार्च 2013

खुश रहू, दन दनाइत रहू, 
जहाँ रहू, हन हनाइत रहू। 
चाहे रहू कोनो देश, चाहे धरू कोनो भेष,
 सदेव अपन माटि पानि मे सनाएल रहू।