रविवार, 18 अक्टूबर 2015

नाटकःजागु 10

नाटकःजागु
दृश्यः दश
समयः भोर
स्थानःबिल्टूक घरक दृश्य
(स्टेज पर बिल्टू घर मे पूजा पर बैसल अछि)
विष्णु देवः(नेप्थय सँ) बिल्टू! बिल्टू!!(हाक दैत)
बिल्टू: के ???
वि0दे0: हम !!!
बि0:(धरफराइत उठैत) भाई जी !! याह एलौं...(विष्णु देवक प्रवेश, बिल्टू पएर छू गोर लगैत)
वि0दे0:'आयुष्यमान भवः', 'यसस्वी भवः'
बिल्टूः (कुर्सी दैत) आउ बैसू
वि0दे0:(बैसत) हम भोरे भोर मधुर खेबाक लेल एलहुँवा । आईके अखबार पढलहकाए ??
बिल्टूः की भेलहिया ? की रामनारायण बाबू चुनाव जीत गेला ??
वि0दे0: राम बाबू त जीतबे करता, मुदा, आई हमर गाम जीतलाए ! हमर गामक नाम अखबारक मुख्य पृष्ठ पर छपल अछि !! (गोर्वान्वित होइत)
बिल्टूः से किएक ?
वि0द0: ओ आहाँक कारण...
बिल्टूः (आशचर्यचकित भाव)...हमरा कारण ??? भाई जी, हम गप नहि बुझलौं !!!!
वि0दे0:(अखबार देखबैत)..हौ तूं "कलेक्टर" बनि गेलअ, कलेक्टर !! एहि गामक पहिल कलेक्टर , ओहो भारत मे प्रथम स्थान ....
बिल्टूः(खुशी सँ)...की कहलौं, हम कलेक्टर बनि गेलौं !! हे भगवान ! आहाँक कोटि कोटि धन्यवाद !! आइ आहाँ हमर भक्ति, आराधना आ विश्वाशक फल देलौं ।(माए बाबूके फोटो लंग जा प्रणाम करैत) भाई जी, आइ हमर माए बाबू बड्ड प्रसन्न हेता' । हमर ई सफलता हुनके लोकनिक आर्शिवादक फल अछि ।
वि0द0: मात्र तोरे माए- बाबू नहि, आइ एहि पावैन अवसर पर पूरा समाज हर्षित अछि ! आइ ई समाज तोरा पर गर्व महसूस क रहल अछि !! तोहर ई सफलता सिद्ध क रहल अछि कि जँ आत्मविश्वाश, हौसला आ किछु क गुजरबाक इच्छा हुए त कोनो वस्तुक प्राप्ति असम्भव नहि । तूं समाज लेल एक आदर्श छ ।।
बिल्टूः भाई जी, हमर एहि सफलताक पाछाँ एहि समाज आ आहाँ लोकनिक बड्ड पैघ हाथ अछि । माए-बाबूक मुइला उपरान्त हम हिआउ हारि गेल रही, मुदा, ई समाज हमरा बड्ड सहयोग केलक । हम एहि समाजके सदा त्रृणी रहब ।
वि0दे0: बस...!! जिनगी मे सदैव याह गप मुन राखब ! समाज सँ पैघ केयो नहि होइत अछि । चाहे कतबो पैघ हाकिम बनि जाइ, मुदा, समाजके कहियो नहि बिसरब । सदा हमर एहि गपके मुन राखब-----
"जेना कृषक वर्षाके बाट तकैया, तहिना समाज सदैव प्रतिभावान पुतके बाट जोहैया"...
बिल्टूः भाई जी. हम वचन दैत छी--हम सदैव समाजके प्रति सजग, संवेदनशील आ कर्त्तव्यनिष्ठ रहबाक प्रयास करब ।।
वि0दे0: हमरा तोरा सँ याह उम्मिद अछि  !!
बिल्टूः भाई जी, हम अपन कमाईके किछु हिस्सा सदैव ' सम्पूर्ण शिक्षा अभियानके' दैत रहब , आइ सँ एकर संचालनक भार हम आहाँके सोपि रहल छी, हमरा त असली सफलता ओहि दिन भेटत जहिया गामक एकटा व्यक्ति अशिक्षित नहि रहत !!
वि0दे0: हम ई भार सहर्ष स्वीकार करैत छी आ प्रयास करब कि हम आहाँक सपनाके पूरा करी ।..आब चलू समाजक लोक आहाँक अभिनन्दन लेल बेकल छैथ
(प्रस्थान, पटाक्षेप, दोसर पर्दा पर टेबुल कुर्सी लागल आ दस बिस लोक फुल माला ल बैसल, विष्णुदेवक संग बिल्टूक प्रवेश, अभिनन्दन कार्यक्रम होइत अछि)
बिल्टूः (आँखि सँ खुशीक नोर पोछैत)...समस्त गामवाशीके हमर प्रणाम !! आहाँ  लोकनिक असीम स्नेह आ सहयोगक बलबूते आइ हम ई सफलता प्राप्त क सकलौं ! एहि हेतु हम सदैव आहाँ सभक त्रृणी रहब ! हम एकहिटा गप कहब--प्रत्येक पाथर हीरा अछि, बस, ओकरा तरसबाक आ परखबाक जरूरत अछि । गाम मे कतेको धिया पुता अछि जेकरा अन्दर ज्ञान, विज्ञाण आ कला कुटि कुटि क भड़ल अछि, मुदा, बेकार पड़ल अछि । जतेक समय हम अधलाह काज मे लगबैत छी, जँ ओतेक समय, बल आ बुद्धि निक काज मे लगाबी त अपना संग समाज आ देश दुनूक विकाश होएत ।(सभ ताली पीटैत अछि)
पुनः सभ गोटेके हमर प्रणाम !!!!
पर्दा खसैत अछि
दृश्य दशम समाप्ति