बुधवार, 28 अक्टूबर 2015

उठ रे बौआ"

"उठ रे बौआ"
उठ रे बौआ भेलै भोर
सगरो दुनियाँ करै कलोल
कहियाधरि भांग खाए
रहबाए तूं भकुआएल ?
देखहीं सगरो दुनियाँ
आइ छै अगुआएल
आब नहि छौ भड़ल
बाबाक बड़का भखाड़ी
उसड़ पड़ल छौ
खेत-खरीहान आँगन-बाड़ी
ताशक तमाशा देखने
की पेट भड़तौ ?
बीपीएलक चाउर गहुम खेने
की जिनगी कटतौ ?
चौक चौराहा पर भाषण झाड़ने
मुँहमे जरदा पान गलौठने
की बनबे नेता ?
दियादी झगड़ा केने
एक दोसराके खसेने
की भेटतौ तमगा ?
रे अभागा
कने अपन इतिहास भूगोल त पढ़
जानि अपन पहचानि अपन शक्ति
सगरो दुनियाँमे ताल त ठोक
उठ रे बौआ भेलै भोर
सगरो दुनियाँ करै कलोल !!!!"
:गणेश मैथिल