सोमवार, 5 अक्टूबर 2015

बटोही

"बटोही"
हम बाटके  बटोही असगर
छोड़ि देलक  सभ संग हमर
मुदा हम स्वयंके नहि छोड़लौं
नहि कहियो कोनो बाधा सँ डड़लौं
नहि कोनो विपति सँ मानलौं हार
कर्मक बाट मे जे भेटल
सहर्ष केलौं स्वीकार
आ निरन्तर आगू बढ़ैत गेलौं
किएक कि----
बुझल छल हमरा सूर्यक सत्य
हुनक नित्य उगनाई-डूबनाई
हम कतेको बेर नपने छलौं
धरती सँ आकाशक ऊँचाई
हम कतेको बेर आगि मे जरि
अनुभूति केने छलौं आगिक ताप
तांए नहि मानलौं कहियो हार
आ निरन्तर आगू बढ़ैत गेलौं...
कर्मक बाट पर
हम बाटके बटोही असगर
एखनो जेबाक अछि बड्ड दूर
एखनो करबाक अछि बड्ड किछु
चाहे केओ संग दैथ वा नहि
हम त धेने रहब अपन कर्मक बाट
हम बाटके बटोही असगर............
:गणेश मैथिल