शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

pathik

मैँ पथ का पथिक अकेला,
 छोड़ दिया सब साथ मेरा,
 पर मैंने स्वयं को नहीं छोड़ा,
न मुशिबतों से कभी डरा,
 न असफलताओं से माना हार,
जो मिला स्वीकार किया और 
निरन्तर अपने कर्म पथ पर चलता रहा,
 क्योंकि पता था मुझे,o
राहें मंजिल का ये अन्त नहीं,
इसलिए राहें मंजिल में जब,
 थक हार बैठ जाता हूँ-
तो मंजिल कहती है मुझे,
 उठो राही राह छोड़ों नहीं,
 बस मैं करीब हूँ,
फिर उठता हूँ बढता हूँ आगे,
आँखों में आशाओं के दीप जलाए हुए,
मैं पथ का पथिक अकेला..

सोमवार, 12 अगस्त 2013

Akele

अकेले   हम  आए  जहां में
अकेले  है  जाना   जहां   से
फिर  हम  क्यूँ   किसी    से
करते   है  आशा  जहां   में.…
मतलब  की   है  ये  दुनियाँ
मतलब  की  है  सारे  नाते  ….
जिस डगर हम चले है जहां में
उसकी न कोई मंजिल हैं
अनन्त है ये दुनियाँ
इसकी न कोई डगर हैं.…
किस डगर मैं  जाऊँ
डगर की न कोई खबर हैं.…….
 

NETAJI

यौ मिथिला के नेताजी, कने हमर गप सुनु..
खाली अपने धोधि भड़ी, किछु जनतो लेल करु..
भाषा विला गेल साहित्य हेरा गेल,हेरा गेल मैथिल पहिचान
कने एम्हरो दियौ धियान......यौ मिथिलाके नेताजी,,,
कने एम्हरो दियौ धियान
यौ मिथिला...
नञि रोजगार सभ बेरोजगार,
नञि उद्योग नञि कोनो शोध,
त कोना क हेतइ विकाश , करियौ कोनो जुगार..
यौ मिथिला...
पाँच साल मे एक बेर एबै पाएर पकैड़ क वोट ल लेबै,
 फेर जेबै बिसैर गाम घर यौ मिथिला के नेता...
जँ आहाँ माए मिथिलाक कोखि सँ जन्मल,
 त रखियौ माएक लाज यौ मिथिलाक नेता...
यौ मिथिला के नेताजी...