सोमवार, 31 अगस्त 2015

मित

कत' चलि गेल छलहुँ
हे हमर मनक मित
कल्पनाक रण बन मे
सदिखन बौआइत छल मन
उद्वलित भ जाइत छलहुँ
जखन याद अबैत छल
आहाँक निस्वार्थ प्रित ।।
प्रितक रीति नहि छल बुझल
ताँए नहि सुना सकलौ आहाँके
अपन ह्रद्यक स्नेहक गीत ।।
तखन बुझलौ प्रितक रीति
जखन प्रितक आगि मे जरै लगलौ
जखन बिनु पानि माछ जेना
अहुरीया काटि तड़पै लगलौ
तखन भेल आभाष
अहीं छलहुँ हमर मनक मित ।।

बुधवार, 5 अगस्त 2015

ई सार मच्छर
होइत अछि पैघ खच्चर
नान्हिएटा जन्त्र
मुदा अछि बड्ड ढिठगर
अपन सिद्यान्तकें अछि पक्का
बिनु चुनौती देने
अपन शिकारकें शिकार नहि करत
हनहनाइत कान लंग ललकारत
मुदा जखने हाथ उठाएब मारबाक लेल
चट द गाल पर चुम्मा ल भागि जाएत
आ भारी भरकम अहंकारी मनुख
निसहाय भ थपरी पीटैत रहत.......
मोदी जी
सब्र की अब बांध टूट रही है
पाकिस्तान की हिम्मत बढ़ रही है
बारम्बार वादा खिलाफी कर रहा है
पाले हुए सांप को भारत भेज रहा है
सीमाओं पर जवान शहीद हो रहे है
बारम्बार पाक हमे ललकार रहा है
आखिर कब तक हम धिरज बान्धे रहेगें ??
किस दिन काम आऐगें
मिसाइलें और परमाणु बम??
इस नापाक पाक के नस्ल को
नेस्तनाबूत कर दिजीए....
सौगन्ध आपको माँ भारती की ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

मंगलवार, 4 अगस्त 2015

दोसरक देखाउंस "


दोसरक जँका बने चललौं
भंगइठ (बिगैर )  गेल जिनगीक सुर-ताल,
निके छलौं अपने जँका
सुखमय छल संसार।


चाल अपन जँ छोड़ब
जँ पकड़ब दोसरक राह ,
 मंजील त नहिये भेटत
भ जाएत जिनगी तबाह।

प्रकृति मौलिक थिक
प्रकृतिक सभ वस्तुक  मौलिकता ,
तहिना मन्नुखक जिनगी सेहो
सभके अपन विशिष्ठ्ता।


    :गणेश कुमार झा "बावरा "
     गुवाहाटी