रविवार, 28 दिसंबर 2014

Geet

गे छौड़ी पतरकी गोरकी
एना कनखी नहि मारै....
अपन नयनक बाण नहि चलाबै
तोहर नयनक बाण बड्ड कातील
क देत हमरा घायल गे
एना कनखी नहि मारै .....
तोहर यौवन चढ़ल बसन्तक
हमर यौवन माघक मारल 
देखि तोहर पुष्पित यौवन
भ जाएत मन आकुल गे
एना कनखी नहि मारै....

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

हम तपैत दुपहरीयाक बटोही
आहाँक स्नेहक छाहैर मे
बैस किछु देर निहारब
आहाँक स्नेह आहाँक दुलार ।
हम बटोही छी
आहाँ चिर स्थिर वट वृक्ष
हमरा सन कतेको बटोही
आहाँक स्नेहक छाहैर मे
अपन तपल ह्रदय जुड़ेने हेता ।

jingi

जिनगीक पहेली बड्ड उलझल
जतेक सुलझेबाक चेष्टा करी
ओतेक उलैझ जाइत अछि...
बुइझ नहि पबैत छी
कत' चुक भ जाइत अछि...
कखनो शांत जिनगीक गति
कखनो अनायास
ज्वार भाटा आइब जाइत अछि....
सहज रहबाक चेष्टा
नहि कोनो अपेक्षा
तथापि कखनो क
जिनगी बोझ बुइझ परैया ।।।।।

शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

जाउ आब किछु नहि कहब
जँ आहाँ सदिखन हमर ह्रदय मे रहब ।
ताइक रहल चिन्मार यौ मैथिल 
बजा रहल दलान
पेटक खातिर छोइड़ गेलौं सभ
अपन खेत खरीहान !!!!!
जँ बेटी धन कमइतै
जँ बेटी बापे घर रहितै
त नहि लोक बहइबतै नोर
बेटी के जन्म पर !!!!!!

सोमवार, 6 अक्तूबर 2014

jingi

जिनगी सवँरी गेल हमर
जखन एलहुँ आहाँ जिनगी मे  हमर ।
मुर्झाएल फूल जेना छलहुँ हम
आबि आहाँ जीया देलहुँ हमरा ।
 संग आहाँ दैत गेलहुँ
डेग हम बढ़बैत गेलहुँ
भेंट गेल मंजिल हमर
गमइक गेल जिनगी हमर ।


रविवार, 5 अक्तूबर 2014

"अभागल जनता "

"अभागल जनता "
कोनो मोल नहि सधारण मनुषक जिनगीक
कीड़ा मकोड़ा जेना समा जाइत अछि
अकाल काल के गाल मे
बड़का बड़का कहाबे वाला जनसेवक
जनता के बुझैत अछि भेड़ बकड़ी
कटवा दैत अछि अपन कुर्सी खातिर
मृत्यु परल लाश पर सेहो होइत अछि राजनिती
खूब घोषणा होइत अछि क्षतिपूर्तिक हेतु
हर बेर बनैत अछि जाँच आयोग
मुदा परीणाम घास के तीन पात
लाशक मुआवजा मे सेहो घूसखोरी
ताहु पर साहबक सिनाजोड़ी
के किछु कहतै ओकरा
ओकरे शाशन ओकरे प्रशाशन
जनसाधारण बहाएत नोर
मुदा "अभागल जनताक" नोरक नहि कोनो मोल !!!!!!!!!!!
               
        :गणेश कुमार झा "बावरा "
          गुवाहाटी


रविवार, 14 सितंबर 2014

बड्ड दूर सॅ आएल छी,
आहाॅक शरणागत मैया...
.ल लिअ अपन कोरा मे,
 बड्ड हम थाकल छी मैया...
क दिअ अपन स्नेहक अमृत वर्षा,
भ जाएत जीनगी सुफल हमर मैया...

Pradhanmantri ke naam sandesh

आदरनिय प्रधानसेवक श्री नरेन्द्र मोदी जी...
.मैं सुचित करना चाहता हूँ कि बिहार राज्य के उतरी भाग जो प्राचीन काल से "मिथिला " नाम से विख्यात है और जहाँ सिद्ध महापुरूष और विद्वानो ने जन्म लिया, जहाँ सीता जैसी बेटी का जन्म हुआ और ये क्षेत्र सदैव अपनी विद्वता, सभ्यता, संस्कृति एवं मृदुल भाषा के लिए जगजाहीर रहा, आज ये क्षेत्र बिहार राज्य मे होने के कारण खतरे मे है । राज्यसरकार की उदासीनता और सौतेला व्यवहार इस क्षेत्र के लिए अभिषाप बन गया है । प्राचीन भाषा और सभ्यता विलुप्त होने के कगार पर है । इसे बचाने के लिए मिथिलावाशी को स्वराज चाहिए । अतः श्रीमान से निवेदन है कि मिथिलावाशी के कष्ट को समझते हुए हमे अलग मिथिला राज्य दे ।
 निवेदकः मिथिलावाशी

sansar banal bazar

ई संसार बइन गेल अछि बजार
जतअ बिकाइत अछि सभ किछु
सर-सम्बन्ध स्नेह -दुलार....
एहि बजारक एक नियम
तोल-मोल जोर-घटाव...
भाव के नहि कोनो भाउ....
एहि बजारक प्रतिस्प॔धा मे
जीनगीक रफ्तार भागम भाग
कमाएब मुदा भोग नहि....
एहि बजारू संसार मे जीबअ लेल
सीखअ परत तिकरमबाजी
गंजा के बेचअ परत कंघी.....

Paeen

पाइन रौ पाइन
तोहर बाइन नहि जाइन
कतौ अकाले प्यासे मरै
गाछ- वृक्ष माल -जाल
कतौ तूं तांडव करैछ
बहा ल जाइत छ सभ किछु...
तोरे सॅ जीवित अछि जीबन
तोरे बिनु निष्प्राण अछि कतेकों जीबन
तोहर कतेकों रूप कतेकों रंग .......

गुरुवार, 17 जुलाई 2014

कहिया तैक ओ रुसल रहती
बिनु बात टूटल रहती

vyang

हे !!! 
हम एकौ मिसीया कम नहि छी..
जँ आहाँ चाइरटा सुनाएब ,
त हम चालीसा गाएब....
हे!!!
जँ आहाँ बुझैत होइ ,
अहीँक बोली अछि बीखगर,
त हमरो बोली अछि .
लौँगीया मिरचाइ सन तिखगर....

रविवार, 22 जून 2014

मिथिला राज्य आन्दोलन के
भेंट रहल अछि नित्य नव आयाम

 संसार में तीन तरहक वृक्ष होइत छै तीन स्वभाव के :
१. जे मात्र फूल दैत छै----जेना गुलाब
२. जे मात्र फल दैत छै ---जेना कटहर
३. जे फूल आ फल दुनू दैत छै ----जेना आम
   एहि तरहे मनुष्यक सेहो स्वभाव होइत छै :
    १. जे मात्र बजता करता किछु नहि
    २. जे करता मुदा बजता नहि
    ३. जे बजता आ करता

तुलसीदास जी रामचरित मानस मे धन  के  तीन उपयोग  बतेने  छथिन :
 १. उत्तम -----दान
  २. मध्यम ----भोग  आ
    ३. निचतम् ----नाश 
सच जँ धन के दान आ भोग नहि काएल जाए त नाश होएत।


अर्थशास्त्र सेहो कहैत छै जे धन जतेक घुमैत रहए ओतेक अर्थव्यवस्था लेल निक। 

शनिवार, 31 मई 2014

आइब  गेल आब मोदी सरकार
की बनत आब "मिथिला राज्य " ???

शनिवार, 10 मई 2014

"कनियाँ के चाही ढेउआ 
बौआ के चाही बाबू कमौआ "

"तामब दिन राइत खेत
तखने भड़त  डेड़ बिता पेट  "


 "जँ चौक चौराहा
देबै खाली गप छरक्का
पीबै भांग मारबै गजाक सौंटा
बिका जाएत सभ बाग़ बगीचा "



शनिवार, 19 अप्रैल 2014

sita




  "सीता "
एकटा नारी के एहन दशा 
केना लिखू हम हुनकर कथा ?
जे कहियो दुःख छोड़ि सुख नहि केली



केना क कहू हम हुनकर व्यथा ?
नहि आर केकरो इ बात छै 
इ त मिथिला के बेटी 
माँ सीता के छै कथा !!


जे सीता महल में रहली 
हर सुख-सुविधा में पलली
नहि जानि केकर नजैर लागल 
विआह होइते वनवाशिक जिनगी कटली ?


जखन लक्ष्मण- रेखा सीता लंघली 
सभ अवाज़ उठेलक 
मुदा इ अवाज़ कहाँ छल सभक 
जखन राम सीता के घर सँ बेललैन ?


कहाँ छैथ लोक मर्यादा पुरुषोत्तम राम 
कुन मर्यादा के इ लाज रखलैन 
गर्भवति पत्नि के देलैन छोड़ि 
केलैन सभ मर्यादाक उलंघन 
तइयो कहाबैथ पुरुषोत्तम राम ?


आदर्श छैथ नारी लेल मिथिलाक बेटी सीता 
बार बार देली अग्नि परीक्षा 
तइयो जँ लोक नहि विश्वाश केलक 
त समा गेली धरती में माँ सीता !!
आइयो हर एक डेग पर 
मिथिलाक बेटी दैत अछि अग्नि परीक्षा 
मुदा कहिया तक धरती में समेती सीता ???
      :कंचन कुमारी 






















 
























    Aadrs chatin maa sita je agani paricha daa k pabitar bhak e k elkin nai kelk keu bisws maa  sita pas ta sita dharti m sama gelkin.

gajal

छोड़ि गेलौँ  जरैत हमरा
धधकैत प्रेमक आगि मे
हम तड़पैत झड़बैत छी नोर
प्रिय हरदम आहाँक याद मे ।




अहीं छलौँ सर्वस्व हमर
नहि आर केयो संसार मे
जँ अहीं नहि भेलियै  हमर "प्रिय "
त हमर कुन मोजर संसार में ।


रखलौं सहेज हम "प्रिय"
आहाँक प्रेमक चारि दिन
आएब आहाँ होएत पुन: मिलन
रहलौं हम बैसल एहि आश मे ।


 कतेको दिवश बितल "प्रिय "
आहाँ नहि लेलौं सुधि हमर
हारल मारल जिनगी हमर
मुदा हम जीब आहाँक याद मे ।


    :गणेश कुमार झा "बावरा "

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

nahi lebai dahej

बुच्चा +बुच्ची : हम मिथिला के छी नवतुरीआ
                       हम खाई छी शपथ -----
                           नहि लेबई हम दहेज़
                           नहि देबई हम दहेज़
                      चुइन लेबई अपन  संगी
                      अपन मन सँ करबई विआह !!
बुच्चा : हम नहि बिकाएब बड़द जँका
            नहि बनब हम घर घुसना
            हमहुँ छी इंसान यौ बाबू
            अछि हमरो अपन सम्मान !!


हम मिथिला के छी नवतुरीआ
  हम खाई छी शपथ -----
                           नहि लेबई हम दहेज़
                           नहि देबई हम दहेज़
                      चुइन लेबई अपन  संगी
                      अपन मन सँ करबई विआह !!
बुच्ची :हम बेटी छी त की भेलई
           अछि हमरो अपन सम्मान
           नहि किनब हम बरद यौ बाबू
           चाहे हम भइर जिनगी रहब कुँवाइर !!


हम मिथिला के छी नवतुरीआ
                       हम खाई छी शपथ -----
                           नहि लेबई हम दहेज़
                           नहि देबई हम दहेज़
                      चुइन लेबई अपन  संगी
                      अपन मन सँ करबई विआह !!
                :गणेश कुमार झ :बावरा:

BHRuN HatYa

भूण हत्य|
आई मन में एकटा विचार भेल
किया समाज खराब भेल|
जनइत अछइत में
किया करई छै ...
समाज इ अपराध,
जै मालुम छै
भूण हत्या छै महापाप||
इ कथा मिथिला समाज के सिर्फ नहि अछि,
समस्त समाज में फैलइत इ पाप अछि|
जनइत अछइत में किया करई छै समाज इ अपराध,
जै मालुम छै भूण हत्या छै महापाप||
जै बेटा रहइत त मान करई छि,
बेटी रहइता त माईर फैकइ छि|
ओइ अबोध शिशु सै कि भेल एहन अपराध,
किया करई छै समाज एहन काज,
जै मालुम छै भूण हत्या छै मयहापाप||
सीता,मीरा, लछ्मीबाई तीनों छथीन,
आदर्श,प्रेम और वीरताक देवी,
कि नहि मिलन हीनकर सभक मैया बाबू के सम्मान?
आई कौन बेटा आइब करई छथीन जनक जी के नाम,
बेटी बचाऊ अहि में अछि सभक सम्मान,
जनइत अछइत नहि करु इ अपराध,
जै मालुम अछि भूण हत्या छै महापाप||
:"कंचन कुमारी झा"
choir aahaa gelau jarait hamra,
dhadhkait premak aaig me
ham tarpait jharbait chhi nor,
hardam aahank yaad me.....

शनिवार, 12 अप्रैल 2014

kavita--betik pukar

"बेटीक पुकार "




ठोहि पाइर क कहैया
बेटी एहि समाज सँ
जीबअ दिअ हमरा बाबू
हम नहि छि अभागिन यौ !!




जँ मौका देबई  हमरो बाबू
हमहूँ बनबई  डॉक्टर आ कलेक्टर
करब आहाँक नाम रौशन
जीबअ दिअ हमरा बाबू यौ !!




मानलौं बेटी धन छै पराया
छोइड़ चइल जाएत घर आहाँक
मुदा इ नियम समाज बनेलक
एहि मे हमर कोन दोष यौ !! 
      : गणेश  कुमार झा "बावरा "

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

baju maithili





      "बाजू  मैथिली "
मान करू सम्मान करू 
मिथिलापुर के नाम करू 
मैथिल छि त बाजू मैथिली 
नहि मैथिली के अपमान करू !!


मैथिल भ मैथिली बाजे मे 
किया करइ छि सँकोच ??
मैथिल छि त बाजू मैथिली
मातृभाषा के सम्मान करू !!


मैथिली अपन सभक अछि धरोहर 
नहि धरोहर के त्याग करू 
मैथिल छि त बाजू मैथिली 
नहि मैथिली के अपमान करू !!
   
       :कंचन कुमारी झा 













बुधवार, 9 अप्रैल 2014

kavita: by kanchan kumari



  "की बेटी भेनाइ छै अपराध "

पुइछ रहल अछि आइ बेटी इ सवाल 
की  बेटी भेनाइ छै अपराध ??
किया बेटी के जीवन भेल बेकार 
किया बेटी के जन्म लेनाइ भेल पहाड़ 
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??

ज बेटा जन्मे घर मे 
बाँटैत छी भइर गाम मिठाई 
ज बेटी जन्मैया 
त किया पिटैत छी माथ-कपाड़ 
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??

घर मे त भगवती पुजैत छी 
देवी पूजा पाठ करैत छी 
त फेर किया बेटी संग दुर्यव्यवहार 
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??

आई दहेजक लोभ मे 
समस्त समाज भेल छै ग्रस्त 
आर किछु  त  प्रगति नहि भेल 
बेटी सभ लेल भेल कष्ट 
की बेटी भेनाइ छै अपराध ??
की  बेटी भेनाइ छै अपराध ??
         :कंचन कुमारी झा :

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

kavita: Mithilawashi: kanchan kumari



    "मिथिलावाशी "
हम छि मिथिला के वासी
मैथिली हमर नाम अछि| 
जहाँ हर घर मिथिला  धाम बसइया ,
ओहिठम हमर गाम अछि| ।


जहाँ धरती फोइर सीता जी भेली
जनक नन्दनी नाम कहेली
ओहिठम हमर धाम अछि।
हम छि मिथिला के वासी
 मैथिली हमर नाम अछि|। 
जहाँ हर आँगन ओरहुल फूल खिलाइया
हर घर माँ भगवती बसइया 
ओहिठम हमर गाम अछि।
हम छि मिथिला के वासी
मैथिली हमर नाम अछि| ।
जहाँ वेद पुरान के ज्ञान  में
मिथिलापुर के नाम अछि
जहाँ विद्यापति  कोकील   कवि
मिथलापुर के शान अछि
ओहिठम हमर गाम अछि।
हम छि मिथिला के वासी
मैथिली हमर नाम अछि| ।
                 : "कंचन कुमारी झा"

सोमवार, 7 अप्रैल 2014

kavita--उताइर् फेंकू

       " उताइर् फेंकू "


तोइड़  दिअ  जाइत-पाइत केँ बन्हन केँ
उठू ठार होउ बढू आगाँ हे मैथिल संतान
थाइम लिअ हाथ बेबश-निर्धन केँ !!


छोइड़ दिअ तुच्छ स्वार्थ भावना केँ
बुझि -सुझि करू  ओ  काज हे मैथिल संतान
जाहि सँ लाभ हुआ समस्त समाज केँ !!


बिसैर जाउ भेद अपन आन केँ
जाइन लिअ पहचाइन लिअ हे मैथिल संतान
हम सभ छी संतान एकहि माए केँ !!


उताइर् फेंकू चद्दैर मिथ्या अहम् केँ
होबए दियौ सभके विकाश हे मैथिल संतान
तखने होएत कल्याण मैथिल-मैथिली-मिथिलाधाम केँ !!
      :गणेश कुमार झा "बावरा"
       गुवाहाटी
 

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

Kavita--BETI

       "बेटी "
कहिया तक दहेज के खातिर 
बेटी के चढ़तै बलिदान 
जागू जागू यौ मिथिलावाशी  
बेटी के करू सम्मान !!


बेटा के भेजी निजी स्कूल 
बेटी के सरकारी स्कूल 
बेटा लेल सोची बने डॉक्टर 
बेटी भले रहाए अनपढ़ 
जागू जागू यौ मिथिलावाशी  
जुनि करू बेटी संग ई दुर्यव्यवहार !!!


जाहि कोइख सँ  जन्मल बेटा 
ओहि कोइख सँ बेटी 
जतबा पीड़ा बेटा मे 
ओतबी पीड़ा मे बेटी 
त बताऊ यौ मिथिलावाशी 
बेटा भेल कोना अनमोल 
बेटी के नहि कोनो मोल 
देखू देखू यौ मिथिलावाशी 
केहन भेल ई अनहोर !!!!


बेटा जन्माए त करी भोज 
बेटी जन्मिते पिटी कपाड़ 
जँ केकरो लागी  गोर 
त आशिष में कहैथ बेटा होथ 
सोचू सोचू यौ मिथिलावाशी 
बेटी के प्रति किया एहन सोच !!!!!!
  :गणेश कुमार झा "बावरा"
   गुवाहाटी (09864406875)


 

 

गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

उठू बौआ भेलै भोर
चिड़ियाँ चुनमुन करै कलोल।
सूरजदेब मारैथ हुलकी
वायुदेब करैथ प्रणाम।।



मंगलवार, 25 मार्च 2014

kavita---dosrak dekhauns

       "दोसरक देखाउंस "


दोसरक जँका बने चललौं
भंगइठ (बिगैर )  गेल जिनगीक सुर-ताल,
निके छलौं अपने जँका
सुखमय छल संसार।


चाल अपन जँ छोड़ब
जँ पकड़ब दोसरक राह ,
 मंजील त नहिये भेटत
भ जाएत जिनगी तबाह।

प्रकृति मौलिक थिक
प्रकृतिक सभ वस्तुक  मौलिकता ,
तहिना मन्नुखक जिनगी सेहो
सभके अपन विशिष्ठ्ता।


    :गणेश कुमार झा "बावरा "
     गुवाहाटी 

रविवार, 23 मार्च 2014

hakar

                   हकार !! हकार !! हकार !!      
 पूर्वोत्तर मैथिली साहित्य संगोष्ठी , गुवाहाटी  
अपन मासीक कार्यक्रम के तहत जुइर शीतल पाबैन के मौका पर
                                     १३-०४-२०१४ के 
                                "साहित्य -सम्मेलन "
                                 के आयोजन क रहल अछि..... 
     समय : २ बजे सॅ 
  स्थान : बद्रीदास स्कूल , कुमारपारा , गुवाहाटी 
 पूर्वोत्तर में रहनिहार मैथिल  रचनाकार आ साहित्यप्रेमी जन सँ आग्रह जे ओ सभ अपन रचना संग एहि सम्मेलन में उपस्थित होइथ।
सम्पर्क : 9864406875 , 9864126176 , 9864065553 

शुक्रवार, 21 मार्च 2014

मिथिला राज्य आंदोलन के समर्थक नेता सभ के भारी मत स विजय बना लोकसभा में भेजू मिथिलावशी, ताकी ओ सभ लोकसभा में एकजुट भ मिथिला राज्य लेल जोर सोर स अवाज उठा सकैथ, चाहे ओ कोनो पार्टी के नेता होइथ....
जय मिथिला, जय मिथिला राज्य आंदोलन , जय मिरानीसे

सोमवार, 17 मार्च 2014

पूर्वोत्तर मैथिली साहित्य संगोष्ठी  अपन पहिल कवि-सम्मेलन दिनांक १६-०३-२०१४ के बद्रीदास स्कूल में संध्या ३ स ५ आयोजीत केलक। एहि में लगभग ६० स ऊपर श्रोतागण उपस्थित छलाह। ५ टा कवि अपन कविता स कवी सम्मलेन के शोभा बढ़ेला। हर तरहक कविताक पाठ भेल।
श्रोतागण आनंदित भेला आ संगोष्ठीक कार्य के सराहना केला।
सम्मलेन के अध्यक्षता श्री कमलकांत जी केलैन।
सम्मलेन आ संगोष्ठीक आवश्यकता आ एकर आगुक उद्देश्य पर विस्तृत चर्च पूर्वोत्तर में मैथिली लेल सतत कार्य केनिहार श्री सत्यानन्द पाठक जी केलैन।
कवि -सम्मलेन के शुरुआत गणेश जीक कविता स भेल :
"फागुन "
फागुन बसंत लेलै
जीवन में उमंग एलै
नब-नब सृजन सृष्टि में भेलै !!
चारु दिश पसरल हरियरी
गन्ध पुष्पक अति मनमोहक
स्नेह रस में डूबल हृदय-मन
फागुन..............एलै !!
मौसुआएल छल मन हमर
माघक पतझड़ जेना...
लगिते बसात बसंत केँ
फुला गेलौं गुलाबक फूल जेना
फागुन . . .......... एलै !!
जिनगीक सच सेहो एहने
जेहन मौसमक रीति
आश नहि छोड़ी कखनो
चाहे हुआ कतबो समय विपरीत
कहैथ गणेश सुनू भाई श्रोता
फागुन बसंत दैथ याह संदेश
फागुन .. ………… एलै !!
आ एहि के बाद संतोष जी , ललित जी , सत्यनारायण जी आ पवन जी के एक स एक कविता स सम्मलेन आगू बढ़ैत गेल। 

रविवार, 16 मार्च 2014

Fagun

"फागुन "
फागुन बसंत लेलै
जीवन में उमंग एलै
नब-नब सृजन सृष्टि में भेलै !!
चारु दिश पसरल हरियरी
गन्ध पुष्पक अति मनमोहक
स्नेह रस में डूबल हृदय-मन
फागुन..............एलै !!
मौसुआएल छल मन हमर
माघक पतझड़ जेना
लगिते बसात बसंत  केँ
फुला गेलौं गुलाबक फूल जेना
फागुन . . .......... एलै  !!
जिनगीक सच सेहो एहने
जेहन मौसमक रीति
आश नहि छोड़ी कखनो
चाहे हुआ कतबो समय विपरीत
कहैथ गणेश सुनू भाई श्रोता
फागुन  बसंत दैथ याह संदेश
फागुन .. ………… एलै !!

बुधवार, 12 मार्च 2014

Kavita-HUNKAR

       "हुँकार "


कहि दियौ जा क '
पटना -दिल्ली केँ शासक सँ
आबि रहल अछि मिथिलावाशी
लेब' अपन अधिकार अपन स्वराज !


कहि दियौ जा क '
शांत हृदय उद्वेलित भ' रहल अछि
श्रृंगार -भक्ति गीत गाबे वाला हृदय
आब क्रान्तिक गीत गाइब रहल अछि !


कहि दियौ जा क'
आब नहि देबै अग्नि-परीक्षा
आब नहि धरति धरती सीता
विरोधक स्वर उठि रहल अछि
सम्हरि जाउथ देथु मिथीला
नहि त' मिथिलावाशी उखाइर्  फेँकत सत्ता !!!!!!
        :गणेश कुमार झा "बावरा"

बुधवार, 5 मार्च 2014

nukkar

नुक्कर नाटक : "मिथिला राज्य "
पात्र : १. सुरेन्द्र २ बिल्टू ३ बेचन


(बिल्टू आ सुरेन्द्र गामक चाय दुकान पर चाय पिबैत, ओम्हर स बेचन अबैया  )
बेचन :(बिल्टू आ सुरेन्द्र के )--गोड़ लागै छिओ काका !!
बिल्टू आ सुरेन्द्र : खूब खुश रह !! की हाल चाल  हौ ???
बेचन: बड्ड निक हई काका ! एक खबर बड्ड निक हई !!
बिल्टू: ...की ?
सुरेन्द्र : बाजे न !! की सरकार कोनो रिलीफ फण्ड देतै ??
बेचन : नै हो काका! मिथिला राज्य बनते  मिथिला राज्य --अपन स्वराज !!!
बिल्टू: से तोरा के कहि देलकौ ! कतेको दिन सॅ हमहुँ सभ सुनै छी , मुदा , ई सभ बकवाश हई !!!!
सुरेन्द्र : हाँ. हाँ ई सभ झूठे के हल्ला क दैत हई आ चुप भ जाइत हई
बिल्टू: आ की  हेतई मिथिला राज्य ल क ??? की नाम बदल गेला सॅ भाग्य बदल जेतै ???
सुरेन्द्र : की मिथिला क्षेत्र के दरिद्रता दूर हेतै ??
बेचन: हाँ  हाँ काका !! सभ होतै...जखनी मिथिला राज्य बनते त अपन स्वराज होतै ...अपन पहिचान होतै ...अपन क्षेत्र के अपना हिसाबे बिकाश होतै ..आ आब ई झूठ के सपना न हई !!! ई सच होतै !!!! आ बिल्टू काका ! आई हमरा सभ बिहारी के नाम ल जिबै छी आ ऐ कारण हमरा सभ के सभ जगह बेइज्जती होबे पड़ै हबे ...मुदा ज दोसर जगह के लोक के कही जे हम ओइ मिथिला के संतान छी जाहि धरती पर सीया सन धिया जन्म लेली आ राम पाहुन बनलइन त लोक आदर आ सम्मान करै हई !!!!!!
बिल्टू:मुदा , मिथिला में हई की ? अलग भेला पर की खाएब ??
बेचन : काका ! की नै हई मिथिला में----पानी हई , भूमी हई , श्रम हई , योग्यता हई सभ कुछ हई ..मुदा सभ केयो भदेश ध लेने हई ...जखनी मिथिला राज्य बनते त नब नब प्रोजेक्ट लगतै , सभ के रोजगार भेटतै आ भदेश गेल लोक सभ घुइम क अपना मिथिला अतै आ फेर सॅ मिथिला स्वर्ग सॅ सुन्दर भ जेतै !!!!!!!!!
सुरेन्द्र :बात त ठीक हौ तोहर बेचन , मुदा , मिथिला राज्य बनते कोना ????
बिल्टू: ठीक कहै जे बेचन ! हम  सभ अपन शक्ति भुइल गेल छी !! ठीके की नै अइछ हमरा सभ लंग !!!!!!
बेचन: काका सभ!! मिथिला राज्य बनाबे खातीर एक संगठन बनलैया जेकर नाम हई "मिथिला राज्य निर्माण सेना "..जे मिथिला राज्य लागी आन्दोलन क  रहल हई आ हमहुँ एकर एक "सेनानी " छी ..एकर मात्र एक संकल्प हई "समृद्ध आ सभ्य मिथिला राज्य "
बिल्टू: त आई से हमहुँ तोरा सभ के संग छी तन , मन आ धन सॅ ...पेट खातिर त बड्ड जिली आब अपन मातृभूमि के खातिर जिब अपन पहिचान खातिर जिब...
बेचन : जय मिथिला
सुरेन्द्र : हमहुँ संग छिओ समांग ....आई सॅ रोज गामे गामे जा के लोक के जगाएब "अपन स्वराज मिथिला राज्य " खातिर
                               (बेचन, बिल्टू , सुरेन्द्र  एक संग )
"जय मिथिला, जय मैथिली, जय मिथिला राज्य आन्दोलन"

सोमवार, 3 मार्च 2014

२१ फरवरी , शुक्रवार  के मातृभाषा दिवश अछि  आ  अपन मातृभाषा मैथिली के मिथिला में शिक्षा में उचित अधिकार दिएबाक लेल पटना में १५ तारीख स अनशन पर बैशल छैथ भाई अनूप आ भैया मनोज।  मुदा बिहार सरकार बनल अछि बौक , बहीर। हम सभ मिथिलावाशी  एहि आन्दोलन में अपन भागीदारी कम स कम  एक दिनक सामूहिक उपवाश राखि द सकैत छी--जे जहाँ छी ओतै रहि उपवाश राखू जाहि स हिनका सभ के शक्ति भेटें। इ सामूहिक उपवाश २१ के राखल गेला।  पूरा मिथीला मिथिला राज्य निर्माण सेना के एहि अनशन में भागी बनता से आशा।  इ सूचना एस  एम एस के द्वारा अपन अपन लोक के दी आ एतेक त कम स कम हम सभ कए सकै छी। 
    जय मिथीला जय मैथिली जय मिरानिसे 

रविवार, 2 मार्च 2014

प्रिय गामवासी


प्रिय गामवासी,

हम सब गामक बेटा गामसँ बड दूर मजबूरी मे समस्त उत्तरदायित्त्वकेर वहन करबाक वास्ते प्रवासपर छी आ एतय अपन स्वराज्यक महत्त्व आन-आन राज्यवला सबहक समृद्धिसँ मनन कय रहल छी...। वास्तवमे बिहार नाम्ना राज्यक हेबाक कारणे हमरा सबहक कतहु सम्मान नहि कैल जा रहल अछि, लेकिन जखन अपन मिथिलाक बात करैत छी तऽ स्वत: लोक जानकी (सिया-धिया)केर स्मरण करिते हमरा सबकेँ बहुत इज्जत सेहो दैत छथि, मुदा काज करबाक घडी कियो इज्जतसँ पैसा नहि दैत छैक, घाम-पसीना चुआबैत काज करबाबैत अछि आ रोजीक नामपर शोषण कैल जाइछ। आइ यदि अपन स्वराज्य टा रहैत तऽ जरुर हमरा लोकनि अपन मिथिलामे उद्योग आ व्यवसायिक वातावरण पाबि रोजी लेल एतेक दूर कथमपि नहि अबितहुँ।

हमर व हमरा संग रहनिहार समस्त मिथिलावासी एहि बेर निर्णय लेलहुँ आ ताहि अनुरूपे अपने लोकनिकेँ चिट्ठी लिखि निवेदन कय रहल छी जे आगामी लोकसभा चुनावमे जे कोनो दल वा उम्मीदवार चुनाव लडय लेल आबय ओकरा सँ पहिने शपथ खुआउ आ लिखित माँगू जे 'मिथिला राज्य' केर माँग सदनमे उठायत आ हमरा सबकेँ बिहार राज्यक थोपुआ पहिचानसँ जरुर मुक्ति दियाओत। संगहि, आर्थिक पिछडापण सहित अन्य अविकसित अवस्थामे शीघ्रातिशीघ्र सुधार आनत।

अपनेक विश्वासी,


Ganesh, Pravakta, Mithila Rajya Nirman Sena
प्रिय गामवासी,

हम सब गामक बेटा गामसँ बड दूर मजबूरी मे समस्त उत्तरदायित्त्वकेर वहन करबाक वास्ते प्रवासपर छी आ एतय अपन स्वराज्यक महत्त्व आन-आन राज्यवला सबहक समृद्धिसँ मनन कय रहल छी...। वास्तवमे बिहार नाम्ना राज्यक हेबाक कारणे हमरा सबहक कतहु सम्मान नहि कैल जा रहल अछि, लेकिन जखन अपन मिथिलाक बात करैत छी तऽ स्वत: लोक जानकी (सिया-धिया)केर स्मरण करिते हमरा सबकेँ बहुत इज्जत सेहो दैत छथि, मुदा काज करबाक घडी कियो इज्जतसँ पैसा नहि दैत छैक, घाम-पसीना चुआबैत काज करबाबैत अछि आ रोजीक नामपर शोषण कैल जाइछ। आइ यदि अपन स्वराज्य टा रहैत तऽ जरुर हमरा लोकनि अपन मिथिलामे उद्योग आ व्यवसायिक वातावरण पाबि रोजी लेल एतेक दूर कथमपि नहि अबितहुँ।

हमर व हमरा संग रहनिहार समस्त मिथिलावासी एहि बेर निर्णय लेलहुँ आ ताहि अनुरूपे अपने लोकनिकेँ चिट्ठी लिखि निवेदन कय रहल छी जे आगामी लोकसभा चुनावमे जे कोनो दल वा उम्मीदवार चुनाव लडय लेल आबय ओकरा सँ पहिने शपथ खुआउ आ लिखित माँगू जे 'मिथिला राज्य' केर माँग सदनमे उठायत आ हमरा सबकेँ बिहार राज्यक थोपुआ पहिचानसँ जरुर मुक्ति दियाओत। संगहि, आर्थिक पिछडापण सहित अन्य अविकसित अवस्थामे शीघ्रातिशीघ्र सुधार आनत।

अपनेक विश्वासी,
निक नहि लगैया हमरा 
हमर मनक अँगना
बिनु आहाँ सजना..
जखन बहैया बसात फागुन के,
मन मे उठैया हिलोइर नेह के..

Mithila Rajya

गे मैया!
कहिया बनतै मिथिला राज्य?
जहिया बनतै मिथिला राज्य,
सभके भेटतै अपन काज ।।
सभके भेटतै अपन काज,
नहि केयो जेतहि दोसर राज्य ।।
 नहि केयो जेतहि दोसर राज्य,
सभ केयो रहतै अपने गाम ।।
सभ केयो रहतै अपने गाम,
सभक उन्नति सभक सम्मान ।।
सभक उन्नति सभक सम्मान,
तहने बनतै मिथिला महान ।।..
जय जय मिथिला!
 जय मिथिला राज्य आन्दोलन!!
  :गणेश  कुमार झा "बावरा "

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

Swabhiman

आब जीबे क की करब,
जखन स्वाभिमाने नै रहल!
अपन पहिचान रहितो,
दोसरक पहिचान ल जीबे छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभूमि सँ दूर भेलौ!
अपन खेत पथार रहितो,
दोसरक खेत पटबै छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभाषा बिसरलौँ!
अपन समृद्द भाषा रहितो,
दोसरक बोली बजै छी!!
   :गणेश कुमार झा "बावरा"

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

Maithili lel Samuhik Anshan

२१ फरवरी , शुक्रवार  के मातृभाषा दिवश अछि  आ  अपन मातृभाषा मैथिली के मिथिला में शिक्षा में उचित अधिकार दिएबाक लेल पटना में १५ तारीख स अनशन पर बैशल छैथ भाई अनूप आ भैया मनोज।  मुदा बिहार सरकार बनल अछि बौक , बहीर। हम सभ मिथिलावाशी  एहि आन्दोलन में अपन भागीदारी कम स कम  एक दिनक सामूहिक उपवाश राखि द सकैत छी--जे जहाँ छी ओतै रहि उपवाश राखू जाहि स हिनका सभ के शक्ति भेटें। इ सामूहिक उपवाश २१ के राखल गेला।  पूरा मिथीला मिथिला राज्य निर्माण सेना के एहि अनशन में भागी बनता से आशा।  इ सूचना एस  एम एस के द्वारा अपन अपन लोक के दी आ एतेक त कम स कम हम सभ कए सकै छी। 
    जय मिथीला जय मैथिली जय मिरनिसे 

शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

हमारे नेताजी

                  हमारे  नेताजी
देश का लगाते बँटाधार
हमारे नेताजी
चलते कैसे कैसे चाल
हमारे नेताजी
पहले संसद में होती थी बहश
फिर शुरू हुई गाली गलौज
अब तो उड़ती "मिर्ची पाउडर " जी
ऐसे है हमारे नेताजी
चुनाव जब आता
रटी रटायी झूठी भाषण देते
कहते दूर करुँगा गरीबी
गरीबों के नाम पर बनते फण्ड
करते हजम हमारे नेताजी
गरीबी जैसी कि तैसी
जनता करती पुकार
सुनो सरकार
दो हमें रोजगार
नहीं चाहिए मुफ्त की रोटी जी
सुनो हमारे नेताजी
नफरतों की आग लगाते
भाई भाई में खूब लड़ाते
सेकते अपनी रोटी
हमारे नेताजी
अब जनता बनी होशियार
लाएगी सोराज
नहीं चलेगी अब आपकी नेतागिरीजी
सुनो हमारे नेताजी
   :
गणेश कुमार झा "बावरा "
       गुवाहाटी

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

FAGUA Ele

एलै बसंत चढलै रंग,
खिल उठल फुलवारी,
जुअनका सभक बाते छोड़ू,
बुढो सभके लगलैन रंग रभसक बिमारी..
जोगी जी सा रा रा ।
मित हमर दू मास सँ,
धेने छलाह विस्तर,
लइगते बसात बसंत के ,
भ गेला चरफर,
आ खेले लेल भौजी संग फागु,
ध लेला गामक गाड़ी झटपट..
जोगी जी सा रा रा ।
भैया हमर काटैत अहुरिआ , 
भेंट करबा लेल भौजी सँ,
कहै छलाह पहिल फागु ,
 खेलितौ सासुरे मे,
साइर सरहोजनी कनिञाँ संग..
जोगी जी सा रा रा । (बुरा नै मानब होली छै)

BANEBE MITHILA

सुनहो भैया सुनहो काका
चलहो अपन गाम हो,
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो...
काहे के हम जेबै भैया
पंजाब बंगाल असाम हो,
सभ कुछ त हई अपने लंग
क लेबै जुगार हो...
जमीन हई पानी हई
हई शुद्द बसात,
ज्ञान के हई भंडार मिथिला
लगा लेबै उद्योग हो...
बिहारी बनि सुनबहोँ गाहिर
या मैथिल बनि बनबहोँ महान,
फैसला करहोँ हो भैया
आब न करहोँ वक्त नुकशान...
मिथिला राज्य निर्माण सेना
भड़ि रहल हुँकार हो,
अबहो काका अबहो भैया,
दहू मिरानिसे के संग हो..
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो....
जय जय मिथिला जय जय मिरानिसे
 :गणेश कुमार झा "बावरा ":

रविवार, 9 फ़रवरी 2014

জয়   মিথিলা, জয় মৈথিলি 

CHALU MITHILA

घुइर चलू घुइर चलू मैथिल
अपन मिथिला देश
बाट जोहै छथि माए मिथिला,
आँचर मे लऽ स्नेहक सनेश।
उजइर पुजइर गेल छै ओकर
सभटा खेत पथार
गाम घर सभ भक्क पड़ल छै
डिबिया बाती नै जरै छै
देख ई दशा
माए मिथिला के फाटै छै कुहेश ।...
जाहि धरा पर बहैत अछि
सात सात धार
आई ओहि धरा के छाती अछि सुखाएल
खाए लेल काइन रहल अछि नेन्ना भुटका
माइर रहल छथि माए मिथिला चित्कार ।
देखू देखू हे मिथिलावाशी केहन आएल काल
देब भूमि तपोभूमि
आई बनल आतंकक अड्डा
जतऽ कहियो पशु पंछियोँ वाचैत छल शास्त्र
आई ओहि धरा सँ सुना रहल अछि बम बारुदक राग ।
हे मैथिल!
दोसरक नगरी रौशन केलौँ
छोइड़ अपन देश
आबो जँ नै आएब मिथिला
तऽ भऽ जाएत मिथिला डीह 
कुहैर कुहैर क कहैथ माए मिथिला ई..
चलू चलू यौ मैथिल अपन मिथिला देश
फेर सँ बनेबै ओहने मिथिला
देखतै देश विदेश..जय मिथिला
   :गणेश कुमार झा "बावरा":