बुधवार, 16 दिसंबर 2015

फेर सँ चढ़ि रहल अछि
हमरा ऊपर हुनकर प्रेमक रंग,
पाकल केश देख बुझाएल
लैद गेल हमर यौवनक दिन,
बुझाए लागल अछि जे
संसारक भागम भागमे
हेरा गेल अछि कतौ
हमर दूनु ठोरक मुस्की ,
मुदा आई त गजब भ गेलै
हमर ह्रदयमे उठलै यौवनक तरंग
देख हुनकर वाएह मुस्कीत रुप,
फेर सँ हम यौवनक सागरमे
लगाबऽ लगलौंहाँ गोता
ताकि रहल छी यौवनक हीरा-मोती!!
:गणेश मैथिल