रविवार, 22 जनवरी 2012

KAVITA

"संघर्ष"
हम पथ के पथिक एसगरी
छोडि देलक सब संग हमर
मुदा हम स्वयं के नहि छोड्लहूँ...
नहि निराशा सँ कहियो घबरेलहूँ
नहि असफलता सँ मान्लहूँ हारि
जे भेटल स्वीकार केलहूँ
आ आगू बढ़ैत गेलहूँ
क्याकि स्वयं पर छल भरोषा...
सिखने छलहूँ हम समंदर सँ
"केनाई संघर्ष"
जनने छलहूँ हम आगि सँ
"जरनाई"
महशुश केने छलहूँ हम
"वायु के गति"
नपने छलहूँ हम
"आकाश के ऊँचाई"
बुझल छल हमरा सूरजक सत्य
"हुनक उगनाई-दूबनाई"
एहिलेल , हम नहि छोड्लहूँ कहियो
"अपन कर्मक पथ"
सदा करैत रह्लहूँ "संघर्ष"....
:Ganesh Kumar Jha "BAWRA"
Guwahati

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