गुरुवार, 8 अक्तूबर 2015

वन्दना

"वन्दना"
हे जगदम्ब जगत जननी माँ
आहाँक शरण चरण हम एलौं
आहाँ एतेक सुन्नर जगत बनेलौं
ओहि जगत मे हमरा लेलौं
ताहि हेतु हे जगत जननी माँ
आहाँक कोटि कोटि वन्दन ।।
माँगि रहल छी एतबा माँ
सदा सदाचारी बनल रही
ज्ञान, विवेक, बुद्धि, बल सँ
सदा जगतके कल्याण करी ।।
:गणेश मैथिल: